चुनाव में लोगों ने मेरी बात नहीं रखी तो मंत्री पद को ठोकर मार दी: डॉ किरोड़ीलाल

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दौसा, 9 अगस्त (हि.स.)। दौसा जिले के नांगल प्यारीवास स्थित मीणा हाईकोर्ट परिसर में विश्व आदिवासी दिवस समारोह मनाया गया। संस्कृति की पहचान का प्रकृति के प्रेम का महोत्सव की थीम पर आयोजित कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई। जहां कैबिनेट मंत्री डॉ किरोड़ीलाल मीणा रथ में सवार होकर पहुंचे।

उन्होंने कहा, विरोधी कहते हैं कि किरोड़ीलाल तो मीणा हाईकोर्ट में निर्माण के नाम पर कमाई करेगा, लेकिन मैंने तो भजनलाल सरकार में मंत्री पद को ठोकर इसलिए मार दी कि जहां मैं 45 साल से सेवा कर रहा हूं, उन लोगों ने मेरी बात को नहीं रखा। सुन लो चुनाव से पहले लोग कहते थे कि मोदी आएगा तो आरक्षण खत्म कर देगा, लेकिन मोदी तो आ गया। मैं इस हाईकोर्ट में कहकर जा रहा हूं कि मोदी के रहते हुए मेरी जिम्मेदारी है कि आरक्षण के नाम पर पत्ता तक नहीं हिलने दूंगा। अब विरोध कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा, इसे भी बीजेपी करा रही है। इसमें भी मैं गारंटी लेता हूं कि चाहे मेरी छाती छलनी हो जाएगी, लेकिन आरक्षण के साथ किसी प्रकार की छेडछाड नहीं होने दूंगा। मैं बजरंगबली तरह तो हूं नहीं कि छाती चीरकर बता दूं, लेकिन पपलाज माता व मेरी जननी मां की कसम खाकर आपके बीच कह रहा हूं कि हाईकोर्ट के निर्माण में एक पाई नहीं कमाउंगा, बल्कि सारा समाज को समर्पित करने का वादा करता हूं।

उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढो और समझो। कोर्ट क्रीमिलेयर की व्यवस्था लागू करना चाहता है कि तो जो लोग आरक्षण का फायदा उठाने के बावजूद मलाई खा रहे हैं। ऐसे में हमारे ही वंचित भाइयों को भी आरक्षण का हक मिलना चाहिए। अब किरोडीलाल, नमोनारायण, हरीश मीणा, मुरारीलाल, जसकौर, रामकिशोर मीणा आ​दि के पेट में दर्द हो रहा है। क्योंकि किसी का अधिकार कटता है तो वो चिल्लाता ही है। आपको बहकाने वाले आएंगे, उनसे सावधान रहना। आपके हक अधिकारों की रक्षा करने का भरोसा​ दिलाता हूं। फिर भी कोर्ट के फैसले से कोई नुकसान होगा तो बलिदान देने के लिए तैयार हूं, लेकिन आपको नुकसान नहीं होने दूंगा। अब मेरी बात मान जाओगे या फिर बहक जाओगे। वो आएंगे और बहकाएंगे कि आरक्षण खत्म हो रहा है। यदि वे इतने ही हितेषी हैं तो विधानसभा और लोकसभा में क्यों नहीं बोलते। मैं उनको चुनौती देना चाहता हूं कि तुम दोनों को खुश रखना चाहते हो, लेकिन वे बोल ही नहीं सकते उनमें दम नहीं है।

उन्होंने कहा कि 2007-08 में जब एसटी आरक्षण पर आंच आई थी तक मीणा समाज के 33 विधायक थे। उस वक्त सबने साथ देने का भरोसा दिया था, लेकिन सिर्फ 2 विधायकों ने ही साथ दिया। उससे आरक्षण की चिट्ठी तो रूक गई, लेकिन मैं बिना किसी बात के गुर्जर समाज के निशाने पर आ गया। मैंने उस वक्त भी समाज को समझाने का प्रयास किया था, लेकिन मेरी बात नहीं सुनी। अब मैं भरोसा दिलाता हूं कि गुर्जर समाज की जो भी मांगे पेडिंग रही हैं उनका कंधे—कंधा मिलाकर साथ दूंगा। चाहे मैं सरकार रहूं या नहीं।

मीणा ने कहा, आपको पता है मैंने इस्तीफा दे रखा है। आपको दुख तो नहीं हुआ होगा, लेकिन छाती पर हाथ रखकर सोचना मैंने पार्टी के इतर जाकर सर्वसमाज की मदद की है। आप चाहो तो वोट देना या नहीं, लेकिन आधी रात पर आपके लिए खडा मिलूंगा। आज कोई चुनाव नहीं है। मैंने 2018 में मोदी को बुलाया और सभी 5 सीटें जिताने का भरोसा दिलाया, लेकिन हार गए। मेरा वजन कमजोर हो गया। अब फिर मोदी आए तो दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर फिर हार गए। ये हार-जीत का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन समय के साथ जनता साथ नहीं देती तो हम सब कमजोर होते हैं।