आजकल गाड़ियों पर नंबर प्लेट लगाना आम बात है। नंबर प्लेट से गाड़ी की पहचान होती है कि वह गाड़ी किसकी है, वह किस राज्य की है आदि। नंबर प्लेट से कई बातें पता चलती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गाड़ियों पर सबसे पहले नंबर प्लेट किस देश में लगाई गई थी और क्यों? आइए आज इस दिलचस्प सवाल का जवाब जानें।
वाहनों पर नंबर प्लेट का इतिहास?
वाहनों पर नंबर प्लेट लगाने का चलन 19वीं सदी के अंत में शुरू हुआ। वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ ही सड़कों पर यातायात का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। इसके साथ ही दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में वाहनों की पहचान का व्यवस्थित तरीका ढूंढना जरूरी हो गया है.
सबसे पहली नंबर प्लेट कहाँ लगाई गई थी?
वाहनों पर पहली बार नंबर प्लेट लगाने का श्रेय फ्रांस को जाता है। 1893 में फ्रांस में पहली बार मोटर वाहनों के लिए नंबर प्लेट अनिवार्य कर दी गई थी। इन नंबर प्लेटों पर वाहन का पंजीकरण नंबर होता था, जिसके माध्यम से पुलिस और अन्य अधिकारी वाहन की पहचान कर सकते थे।
दूसरे देशों तक कैसे पहुंची नंबर प्लेट?
फ्रांस के बाद अन्य यूरोपीय देशों ने भी वाहनों पर नंबर प्लेट लगाना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन में 1903 में और जर्मनी में 1906 में नंबर प्लेट अनिवार्य कर दी गई। अमेरिका में भी, 20वीं सदी की शुरुआत में, कई राज्यों ने वाहनों पर नंबर प्लेट लगाने के लिए कानून बनाए।
भारत में वाहनों पर नंबर प्लेट कब लगनी शुरू हुई?
भारत में वाहनों पर नंबर प्लेट लगाने की शुरुआत 1947 में आजादी के बाद हुई। भारत में नंबर प्लेट पर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर, राज्य कोड और वाहन का प्रकार लिखा होता है।
आजकल, नंबर प्लेटें वाहन पहचान उपकरण नहीं रह गई हैं। कई देशों में, नंबर प्लेटों में वाहन मालिक के बारे में विभिन्न जानकारी होती है, जैसे वाहन मॉडल, इंजन नंबर, चेसिस नंबर आदि।
नंबर प्लेट का क्या महत्व है?
पहचान: नंबर प्लेट के जरिए वाहनों की पहचान आसानी से की जा सकती है, जिससे दुर्घटना के मामलों में अपराधी का पता लगाना आसान हो जाता है।
टैक्स कलेक्शन: वाहन मालिकों से नंबर प्लेट के जरिए टैक्स वसूला जाता है।
ट्रैफिक कंट्रोल: नंबर प्लेट के जरिए ट्रैफिक कंट्रोल करना आसान हो जाता है।
अपराध नियंत्रण: चोरी के वाहनों का पता लगाने के लिए नंबर प्लेट बहुत उपयोगी हैं।