उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अप्रत्याशित इस्तीफा: क्या है संवैधानिक प्रक्रिया
नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज, 21 जुलाई 2025 की शाम को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। उपराष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, धनखड़ ने यह निर्णय स्वास्थ्य कारणों और डॉक्टरी सलाह का पालन करने के लिए लिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है, जो संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत उपराष्ट्रपति को किसी भी समय इस्तीफा देने की अनुमति देता है।
उपराष्ट्रपति के पद से यह इस्तीफा, जो उनका कार्यकाल पूरा होने से दो साल पहले हुआ है, देश में एक बार फिर नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को आरंभ करता है। जगदीप धनखड़ भारत के इतिहास में तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा है। उनसे पहले वी.वी. गिरि और आर. वेंकटरमण भी ऐसी ही परिस्थितियों में इस्तीफा दे चुके हैं।
संवैधानिक प्रावधान और आगामी चुनाव:
संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद की रिक्ति (चाहे वह मृत्यु, इस्तीफे या अन्य किसी कारण से हो) के बाद चुनाव 'जितनी जल्दी संभव हो' आयोजित किया जाना चाहिए। हालांकि, राष्ट्रपति के पद की रिक्ति के विपरीत, उपराष्ट्रपति के मामले में चुनाव कराने की कोई निश्चित समय-सीमा संविधान में नहीं बताई गई है। निर्वाचन आयोग जल्द ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा।
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों - लोकसभा और राज्यसभा - के निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं। एक बार चुना गया नया उपराष्ट्रपति, पदभार ग्रहण करने की तिथि से पांच साल का पूरा कार्यकाल ग्रहण करेगा, न कि केवल शेष कार्यकाल।
अंतरिम व्यवस्था:
जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक राज्यसभा के सभापति के रूप में उपसभापति, हरिवंश, सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे। इस अचानक हुई रिक्ति के बाद, जल्द ही राजनीतिक दल अगले उपराष्ट्रपति के संभावित नामों पर विचार-विमर्श शुरू कर देंगे।
--Advertisement--