देश के हर गरीब और मध्यम वर्ग पर बनी रहे मां लक्ष्मी की कृपा…बजट सत्र से पहले क्या है पीएम मोदी का संकेत?

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आज से बजट सत्र शुरू हो रहा है। बजट सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद भवन के द्वार पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बजट से पहले मैं देवी लक्ष्मी को नमन करता हूं। उन्होंने एक संस्कृत श्लोक भी सुनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देवी लक्ष्मी हमें सिद्धि और बुद्धि प्रदान करती हैं। इससे समृद्धि और खुशहाली भी आती है। मैं देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि वे देश के हर गरीब और मध्यम वर्गीय समुदाय पर विशेष कृपा करें। 

 

यह बजट एक नया आत्मविश्वास पैदा करेगा।
पीएम मोदी ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले कहा कि साथियों, हमारे गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। देश की जनता ने मुझे तीसरी बार ये जिम्मेदारी दी है। यह तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 2047 में जब आजादी के 100 वर्ष होंगे, तब विकसित भारत का जो संकल्प देश ने लिया है, ये बजट सत्र, उसमें एक नया आत्मविश्वास भरेगा। इससे नई ऊर्जा मिलेगी कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा तो वह इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा। 140 करोड़ देशवासी अपने सामूहिक प्रयास से इस संकल्प को पूरा करेंगे। 

 

मिशन मोड में काम कर रहे हैं
पीएम मोदी ने कहा कि तीसरे कार्यकाल में हम देश के सर्वांगीण विकास की दिशा में मिशन मोड में आगे बढ़ रहे हैं, चाहे वह भौगोलिक रूप से हो, सामाजिक रूप से हो या आर्थिक रूप से हो। यह नवाचार, समावेशन और निवेश में हमारे आर्थिक रोडमैप का आधार रहा है। इस सत्र में, हमेशा की तरह, सदन को कई ऐतिहासिक विधेयकों पर चर्चा करनी होगी और व्यापक विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप ऐसे कानून बनेंगे जो राष्ट्र की ताकत बढ़ाने का काम करेंगे। विशेष रूप से, महिलाओं की गरिमा को बहाल करने, उन्हें संप्रदायों के भेदभाव से मुक्त करने तथा महिलाओं को सम्मानजनक जीवन जीने के समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए इस सत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। 

उन्होंने कहा कि सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के जरिए यह दशक विकास को गति देगा। राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करना होगा और जन भागीदारी से हम बदलाव देख सकते हैं। हमारा देश युवा है, हमारे पास युवा शक्ति है और आज के 20-25 वर्ष के युवा, जब 45-50 वर्ष के हो जाएंगे, तो विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी होंगे। वह अपने जीवन के उस पड़ाव पर होंगे, जब यह निर्णय लेने की स्थिति में होंगे कि स्वतंत्रता के बाद शुरू होने वाली सदी में, गर्व के साथ, विकसित भारत के साथ आगे बढ़ना है या नहीं।