फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध तीन साल बीतने के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा। हालांकि, इस दौरान युद्ध की रणनीतियां और हथियारों के इस्तेमाल का तरीका पूरी तरह बदल चुका है। शुरुआती दिनों में जहां जमीनी हमले और वायुसेना द्वारा एयरस्ट्राइक देखी गईं, वहीं अब ड्रोन वारफेयर इस जंग का सबसे अहम हथियार बन चुका है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और यूक्रेन अब 70 से 80% हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। तीसरे वर्ष में युद्ध की तीव्रता बढ़ गई है, और अब तक की सबसे बड़ी तबाही ड्रोन हमलों से हो रही है।
कैसे बढ़ी ड्रोन हमलों की संख्या?
रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध के शुरुआती दिनों में हर महीने करीब 200 ड्रोन हमले हो रहे थे, लेकिन अब यह आंकड़ा 1,800 तक पहुंच चुका है। यानी, ड्रोन हमलों की संख्या 9 गुना बढ़ गई है।
अब तक 10 लाख सैनिक मारे जा चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर की मौत मोर्टार, होवित्जर और टैंकों से हुई थी।
अब ड्रोन ही सबसे घातक हथियार बन चुके हैं, जो कम लागत में भारी तबाही मचा सकते हैं।
परंपरागत युद्धों में जहां लाखों डॉलर खर्च होते हैं, वहीं ड्रोन बेहद सस्ते होते हैं और ज्यादा असरदार साबित हो रहे हैं।
ड्रोन युद्ध: कम लागत, ज्यादा असर
ड्रोन तकनीक इतनी एडवांस हो गई है कि अब छोटे खिलौने जैसे ड्रोन भी दुश्मन के ठिकानों पर बम गिराने में सक्षम हैं। यह एक क्रांतिकारी बदलाव है, जो युद्ध की तस्वीर को पूरी तरह बदल रहा है।
कम लागत: पारंपरिक हथियारों की तुलना में ड्रोन बनाना और ऑपरेट करना बेहद सस्ता है।
कोई जान का नुकसान नहीं: सैनिकों की कमी के बीच ड्रोन बिना किसी मानव हानि के युद्ध लड़ सकते हैं।
लंबी दूरी तक हमला: कुछ ड्रोन 700 मील दूर तक जाकर हमला करने में सक्षम हैं।
सटीक निशाना: कई ड्रोन घंटों तक उड़ान भर सकते हैं और बेहद सटीकता से हमले कर सकते हैं।
अब सवाल यह है कि क्या कुछ सौ डॉलर में तैयार ड्रोन युद्ध के लिए ज्यादा प्रभावी हैं, या फिर हजारों करोड़ के फाइटर जेट्स?
ड्रोन अब फाइटर जेट्स को भी बना सकते हैं निशाना
रूस और यूक्रेन ने अब एयर टू एयर कॉम्बैट ड्रोन विकसित किए हैं, जो हवा में ही फाइटर जेट्स को गिराने में सक्षम हैं।
यूक्रेन ने ऐसे ड्रोन तैयार किए हैं, जो 700 मील दूर तक जाकर हमला कर सकते हैं।
कुछ ड्रोन दुश्मन पर सीधे बम गिरा सकते हैं और घंटों तक हवा में बने रह सकते हैं।
अगर ड्रोन गिर भी जाता है, तो नुकसान कम होता है, क्योंकि यह पारंपरिक विमानों की तुलना में सस्ता होता है।
यह साफ संकेत है कि आने वाले समय में युद्धों में ड्रोन सबसे अहम भूमिका निभाने वाले हैं।