मैदा के सेवन पर मिथक और तथ्य: क्या वाकई है इसे ‘व्हाइट पॉइजन’ कहना सही?”

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खानपान से जुड़ी कई धारणा लोगों के बीच फैल जाती हैं, जिनमें से कुछ सच लगती हैं। मैदा के बारे में भी यही बात कही जाती है कि यह पेट में जाकर आंतों में चिपक जाती है। बचपन से आप शायद यह सुनते आए हैं कि मैदा का सेवन करने से यह आंतों में जम जाती है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

क्या वाकई आंतों में चिपक जाती है मैदा?

मैदा को खाने से जुड़ी सबसे बड़ी धारणा यह है कि यह पेट में जाकर आंतों में चिपक जाती है। हालांकि, यह धारणा पूरी तरह गलत है। दरअसल, हम कभी भी मैदा को कच्चा नहीं खाते; इसे हमेशा स्टीम करके या फ्राई करके खाया जाता है। इसीलिए मैदा के आंतों में जमने का सवाल ही नहीं उठता। यहां तक कि अगर गलती से कच्चा भी खा लिया जाए, तो पाचन प्रक्रिया के दौरान यह सरल कार्बोहाइड्रेट के रूप में आसानी से अवशोषित हो जाती है। इसलिए, मैदा का पेट में जमने का तर्क एक मिथक है।

मैदा खाना क्यों माना जाता है बुरा?

यदि आपको लगता है कि मैदा आंतों में नहीं जमती, तो इसके सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण है। एक्सपर्ट्स मैदा को डाइट से निकालने पर जोर देते हैं, और इसके पीछे कई कारण हैं।

  1. पोषक तत्वों की कमी: मैदा गेहूं की बाहरी परत को हटाकर तैयार की जाती है, जिससे इसके अधिकांश पोषक तत्व और फाइबर खत्म हो जाते हैं। इसके चलते यह पेट के लिए सही नहीं होती।
  2. फाइबर की कमी: फाइबर ना होने के कारण, यह पाचन में समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।
  3. बुरा कोलेस्ट्रॉल और मोटापा: मैदा का सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और वजन बढ़ाने में योगदान कर सकता है।
  4. ग्लाइसेमिक इंडेक्स: इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक होता है, जिसके कारण यह शरीर में शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाती है।

इसलिए, जबकि मैदा आंतों में चिपकती नहीं है, इसके सेवन के अन्य कई नकारात्मक प्रभाव हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए।