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हिसार पहुंचा वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधिमंडल, किया एचएयू का दौरा

हिसार, 8 अप्रैल (हि.स.)। आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय पहुंचा। दोनों संस्थानों के अधिकारियों के बीच विभिन्न महत्वाकांक्षी विषयों के बारे में बैठक हुई। बैठक में दोनों विश्वविद्यालयों के अधिकारियों ने कई मुद्दों पर चर्चा करते हुए आपसी सहयोग पर चर्चा की।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोमवार को पहुंचे आस्ट्रेलिया के प्रतिनिधिमंडल में हॉक्सबरी इंस्टीट्यूट फॉर द एनवायरनमेंट, प्लांट फिजियोलॉजी के प्रोफेसर डेविड टिश्यू, प्लांट साइंस के प्रो. औला घन्नौम, सॉयल इकोलॉजिस्ट डॉ. उफ़ेनीगार्ड नील्सन, वरिष्ठ अनुसंधान कार्यक्रम अधिकारी, वेस्टर्न सिडनी इंटरनेशनल नेविटास एजुकेशन सर्विसेज प्रा. लिमिटेड नई दिल्ली से डॉ. कोपल चौबे शामिल रहे।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि संयुक्त प्रतिनिधिमंडल द्वारा शैक्षणिक गतिविधियों के आदान-प्रदान, टिकाऊ खेती, आपदा-जोखिम प्रबंधन, वैश्विक चुनौतियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने जैसे विभिन्न विषयों पर विस्तार से बातचीत की गई। प्रतिनिधिमंडल ने संरक्षित खेती के लिए नवीन समाधानों, कृषि क्षेत्र को प्रभावित करने वाली प्राकृतिक आपदाओं, अत्याधुनिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों के अतिरिक्त पर्यावरण से संबंधित खतरों की भविष्यवाणी तथा आपसी बातचीत के माध्यम से इन खतरों को रोकने के लिए संयुक्त कार्य योजना तैयार करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हकृवि लगातार अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से कृषि तकनीक को सुदृढ़ कर रहा है।

इस अवसर पर ओएसडी डॉ.अतुल ढींगड़ा, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता, डॉ. केडी शर्मा, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.एसके पाहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. मंजू महता, अंतरराष्ट्रीय मामलों की प्रभारी डॉ. आशा क्वात्रा, सूत्रकृमि विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल वत्स, डॉ. देवराज, डॉ. इन्दु अरोड़ा, डॉ. अनिल यादव, डॉ. रीना, डॉ. विनोद गोयल, डॉ. गणेश उपाध्याय, डॉ. अनुज व डॉ. पथम कीर्ति उपस्थित रहे। इससे पहले वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल ने एचएयू के विभिन्न स्थलों का दौरा किया। इन स्थलों में ग्राफ्टिंग यूनिट, दीनदयाल उपाध्याय जैविक उत्कृष्टता फार्म, टिशू कल्चर लैब, रोबोटिक लैब तथा हाइड्रोपोनिक तकनीक का दौरा कर हकृवि के वैज्ञानिकों से अनुसंधान एवं तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त की।