वजन घटाना- डायबिटीज की यह दवा किडनी के लिए भी फायदेमंद, नुकसान से बचा सकती है- अध्ययन

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जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट सिर्फ़ मधुमेह के इलाज तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि किडनी की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस दवा के इस्तेमाल से किडनी की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है, किडनी फेल होने का जोखिम कम हो सकता है और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

ग्लूकागन जैसा पेप्टाइड-1 (जीएलपी-1) रिसेप्टर एगोनिस्ट, जो वजन घटाने और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, गुर्दे की सुरक्षा में भी सहायक हो सकते हैं, चाहे व्यक्ति को मधुमेह हो या नहीं।

इस दवा के प्रभावों पर किए गए अध्ययन के नतीजे द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इस शोध से पता चला है कि जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट न केवल मधुमेह के इलाज में मददगार हैं, बल्कि यह किडनी के कामकाज को भी बेहतर बना सकता है और किडनी फेल होने के जोखिम को भी कम कर सकता है।

अध्ययन निष्कर्ष

जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट का मुख्य उपयोग पहले मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता था। यह दवा इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाती है और रक्त शर्करा को नियंत्रित करती है। साथ ही, यह पाचन प्रक्रिया को धीमा करती है, भूख को कम करती है और आपको भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। लेकिन इस नए अध्ययन से पता चला है कि यह दवा क्रोनिक किडनी रोग (CKD) के रोगियों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।

जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने क्रोनिक किडनी रोग पर जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट के प्रभाव को समझने के लिए अध्ययन किया। यह बीमारी दुनिया भर में तेजी से फैल रही है और करीब 850 मिलियन लोग इससे प्रभावित हैं।

क्लिनिकल परीक्षण के परिणाम

इस अध्ययन में 85,373 लोगों पर 11 बड़े क्लीनिकल ट्रायल का विश्लेषण किया गया। इनमें से 67,769 लोगों को टाइप-2 डायबिटीज़ थी, जबकि 17,604 लोगों को सिर्फ़ मोटापा या दिल की बीमारी थी, लेकिन डायबिटीज़ नहीं थी। इस अध्ययन में सात अलग-अलग GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट का परीक्षण किया गया। परिणामों से पता चला कि GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट ने किडनी फेलियर के जोखिम को 16% तक कम कर दिया। इसके अलावा, किडनी की रक्त को फ़िल्टर करने की क्षमता (ग्लोमेरुलर फ़िल्ट्रेशन रेट) में गिरावट 22% तक धीमी हो गई। कुल मिलाकर, इन दवाओं ने किडनी फेलियर, किडनी के खराब होने और किडनी की बीमारी से मृत्यु के जोखिम को 19% तक कम कर दिया।

आशा की एक किरण

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर सुनील बडवे ने कहा, “क्रोनिक किडनी रोग एक लगातार बढ़ती बीमारी है, जो अंततः किडनी फेलियर और डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पैदा कर सकती है। यह बीमारी न केवल मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि इसके इलाज में भारी खर्च भी होता है। इस अध्ययन के नतीजे इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए उम्मीद की किरण पेश करते हैं।”