हम अक्सर सुनते हैं कि हृदय रोग वृद्ध लोगों में भी होते हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए

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हम अक्सर सुनते हैं कि दिल की बीमारियाँ बुज़ुर्गों को होती हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन के अनुसार, युवाओं में भी दिल की बीमारियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। ख़ास तौर पर एट्रियल फ़िब्रिलेशन नामक बीमारी युवाओं में तेज़ी से फैल रही है।

एट्रियल फिब्रिलेशन एक हृदय रोग है। इस बीमारी में हृदय के कक्षों के बीच समन्वय की कमी होती है। सरल शब्दों में कहें तो हमारे हृदय में चार कक्ष होते हैं। ये कक्ष समन्वित तरीके से काम करते हैं ताकि पूरे शरीर में रक्त पंप हो सके। लेकिन एट्रियल फिब्रिलेशन में यह समन्वय गड़बड़ा जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। इससे रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ सकता है।

युवाओं में यह बीमारी क्यों बढ़ रही है?

अध्ययन के अनुसार युवाओं में बढ़ते मोटापे, अनियमित नींद, तनाव, उच्च रक्तचाप, थायरॉयड की समस्या और शराब के सेवन जैसे कारणों से एट्रियल फाइब्रिलेशन का खतरा बढ़ रहा है।

एट्रियल फ़िब्रिलेशन के लक्षण

* तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन

* सांस लेने में कठिनाई

* चक्कर आना

* कमज़ोर महसूस

* छाती में दर्द

एट्रियल फ़िब्रिलेशन की रोकथाम

* स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

* नियमित रूप से व्यायाम करें

* संतुलित आहार लें

* तनाव को कम करें

* पर्याप्त नींद

* धूम्रपान और शराब से दूर रहें

* नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं

 

एट्रियल फ़िब्रिलेशन का उपचार

एट्रियल फ़िब्रिलेशन का उपचार रोगी की स्थिति पर आधारित होता है। इसमें दवाएँ, जीवनशैली में बदलाव या सर्जरी शामिल हो सकती है।