गोरखपुर, 15 नवंबर (हि.स.)। विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की चिंतन क्रियान्वयन बिन्दु बैठक सरस्वती शिशु मन्दिर (10+2) पक्की बाग गोरखपुर में आयोजित हुई। चिन्तन बैठक को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय मंत्री विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश डॉ सौरभ मालवीय ने कहा कि संस्कार युक्त वैचारिक शिक्षा विद्या भारती का उद्देश्य है। विद्या भारती शैक्षिक क्षेत्र की विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था है। हमारे पास चुनौतियां बहुत हैं। हम प्रोग्रेसिव भी हैं, सनातन भी हैं, हम पुरातन को लेकर चलते हैं, हम विज्ञान को भी स्वीकार्य करते हैं। हमें विज्ञान के साथ-साथ प्रज्ञान भी होना होगा, जय- जवान, जय- किसान, जय- विज्ञान तीनों को लेकर हमें चलना है। तेज गति से कार्य करना है। समाज को एक सूत्र में जोड़ सकें ऐसा प्रयास करना है। जहां हमारी पहुंच नहीं वहां भी हमें पहुंचना है।
उन्होंने कहा अपने कार्य को विस्तार देने के लिए लगना होगा। शिक्षक की सफलता छात्र की सफलता पर निर्भर करती है जिस प्रकार से देश की शिक्षण व्यवस्था होगी, शिक्षक होगा उसी प्रकार से शिक्षार्थी होगा वैसा ही समाज होगा। छात्र भविष्य में देश की दशा और दिशा निर्धारित करेगा। जब छात्र सफल होता है तो शिक्षक को सफलता मिलती है।
सौरभ मालवीय ने कहा किसी देश को आगे बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा । देश हमें देता है सब कुछ हमें भी तो कुछ देना सीखें यह भाव हृदय में होना चाहिए। नेहरू, लोहिया, पटेल सभी लोगों ने संघ को स्वीकार किया। हमें विद्या भारती का लक्ष्य समग्र विकास के रूप में जन-जन तक फैलाना होगा।
चिंतक बैठक में शिक्षा दर्शन, विद्यालय की गुणवत्ता, छात्र विकास, आचार्य विकास एवं प्रशिक्षण, मातृभाषा, कौशल विकास, सामाजिक दायित्व एवं संस्कार, शिक्षा क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियाँ, शिशु वाटिका, पूर्व छात्र आदि बिंदुओं पर चिंतन होगा।
इस अवसर पर डॉक्टर रामनाथ गुप्त, सह मंत्री विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र, विनोद कांत मंत्री जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत, राम सिंह, प्रदेश निरीक्षक शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत, जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के निरीक्षक जिया लाल , संभाग निरीक्षक बलिया कन्हैया चौबे, तथा गोरक्ष प्रांत के सभी प्रधानाचार्य एवं प्रबंधक गण उपस्थित रहे अतिथि परिचय प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश सिंह के द्वारा कराया गया संचालन संभाग निरीक्षक दिवाकर ने किया।