इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों ने जस्टिस यशवंत वर्मा : के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जब जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगी तो करीब 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ। 15 करोड़ रुपए नकद मिले। यह नकदी भी आग में जलकर राख हो गई, जिसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित की है। इस बीच, न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित किये जाने के विरोध में वकीलों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने भी उनका विरोध किया है और कहा है, “हम ऐसे भ्रष्टाचार के आरोपी न्यायाधीशों को स्वीकार नहीं करते।”
ऐसा न्यायाधीश स्वीकार्य नहीं है।
वकीलों का कहना है कि हम भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे न्यायाधीशों को स्वीकार नहीं करते। हम मांग करते हैं कि उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित न किया जाए। इससे पहले इस मुद्दे पर इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने कहा था, “इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ादान नहीं है, जहां भ्रष्टाचार के आरोपी जजों को न्याय के लिए भेजा जाए।”
आपको बता दें कि हाल ही में खबर सामने आई थी कि दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने से करोड़ों रुपये की नकदी जल गई। इसके बाद यशवंत वर्मा विवादों में घिर गए हैं। इस बीच एक और खबर आई कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को दिल्ली से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया जा रहा है। अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील इसके विरोध में एकत्र हुए हैं। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण के विरोध में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आज 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल को देश भर के उच्च न्यायालय बार एसोसिएशनों का समर्थन प्राप्त है।
पिछले सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने एक आपात बैठक की जिसमें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ विरोध जारी रखने का निर्णय लिया गया। बैठक में अनिल तिवारी ने यह भी कहा कि बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर देश के 22 उच्च न्यायालयों को समर्थन पत्र भेजा है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय कोई ‘कूड़ादान’ नहीं है
अनिल तिवारी ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी जज के खिलाफ नहीं बल्कि व्यवस्था के खिलाफ है। यहां मेहनती जज हैं, अब उनकी छवि खतरे में है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय को ‘कचरादान’ माना जा रहा है। यदि किसी न्यायाधीश को भ्रष्टाचार के आरोप में स्थानांतरित किया जा रहा है, तो उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जा रहा है। कमियों को दूर करने के बजाय, यदि कमियों वाले लोगों को यहां स्थानांतरित कर दिया जाएगा, तो व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
पूरा मामला क्या है?
हाल ही में दावा किया गया था कि दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा इस दौरान शहर से बाहर थे। इस बीच उनके घर के बाहर जले हुए नोटों के बंडलों की तस्वीरें सामने आईं। मलबा भी जला हुआ पाया गया। इसमें जले हुए नोट भी मिले। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ‘कैश स्कैंडल’ पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी।
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की है। बार एसोसिएशन ने अपनी आम सभा की बैठक में 11 प्रस्ताव पारित किए, जिनमें मुख्य मांग यह थी कि सीबीआई और ईडी को न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति दी जाए।