रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने 25 साल के कार्यकाल और रूस की वर्तमान स्थिति पर बात की। गुरुवार को मीडिया से बातचीत में पुतिन ने दावा किया कि उन्होंने रूस को गहरे संकट से बाहर निकालने और बर्बादी से बचाने में अहम भूमिका निभाई है।
रूस को गहरे गड्ढे से बचाया
पुतिन ने कहा:
“मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने रूस को एक गहरे गड्ढे में गिरने से बचाया।”
उन्होंने बोरिस येल्तसिन (1991-1999) का उदाहरण देते हुए कहा कि जब तक येल्तसिन ने पश्चिमी देशों के हितों को प्राथमिकता दी, उन्हें दुनिया के नेताओं से सराहना मिली।
- “लेकिन जैसे ही येल्तसिन ने रूस के हितों को प्रमुखता दी, पश्चिमी नेताओं का रवैया बदल गया,” पुतिन ने कहा।
संप्रभुता पर जोर
पुतिन ने रूस-यूक्रेन युद्ध और आर्थिक संकट पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा:
“मुझे लगता है कि मैंने रूस को न केवल बचाया बल्कि उसकी संप्रभुता को भी सुरक्षित रखा।”
उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनके पूर्ववर्ती नेतृत्व की नीतियां जारी रहतीं, तो रूस आज एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में नहीं होता।
पश्चिमी नेताओं के दबाव को नकारा
पुतिन ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने बाहरी दबाव को कभी स्वीकार नहीं किया।
- येल्तसिन के समय, जब उन्होंने पश्चिमी देशों के हिसाब से काम किया, उन्हें सराहा गया।
- लेकिन जैसे ही उन्होंने यूगोस्लाविया के बचाव की बात की और बेलग्रेड पर हमलों का विरोध किया, उनके खिलाफ माहौल बन गया।
- पुतिन ने कहा:
“मैंने रूस को बाहरी दबाव के बजाय स्वतंत्र और मजबूत राष्ट्र बनाने पर जोर दिया।”
यूक्रेन युद्ध और बेहतर तैयारी की बात
रूस-यूक्रेन युद्ध के सवाल पर पुतिन ने माना कि:
“हमें इस युद्ध के लिए पहले से ही बेहतर तैयारी करनी चाहिए थी।”
उन्होंने कहा कि रूस को अपनी रणनीति और तैयारी को और मजबूत बनाना चाहिए था।
पुतिन का 25 साल का सफर
- 1999 में सत्ता संभाली: व्लादिमीर पुतिन ने 1999 में रूस की सत्ता संभाली।
- 10 साल राष्ट्रपति: रूसी संविधान के तहत पहले 10 साल राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
- प्रधानमंत्री का कार्यकाल: इसके बाद पुतिन ने प्रधानमंत्री का पद संभाला।
- संविधान में बदलाव: बाद में संविधान में संशोधन करके पुतिन दोबारा राष्ट्रपति बने।
- आज, पुतिन के नेतृत्व में रूस ने अपनी संप्रभुता और वैश्विक स्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।