विशुद्ध सागर, पुण्यवर्धन सागर. जीतवर्धन सागर का हुआ आत्मीय स्वागत

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धमतरी, 17 जुलाई (हि.स.)।जैन समाज के गुरूवर विशुद्ध सागर, पुण्यवर्धन सागर, जीतवर्धन सागर चातुर्मासिक प्रवेश के तहत 17 जुलाई को धर्म की नगरी धमतरी पहुंचे। उनके आगमन पर जैन समाज और अन्य समाजजनों ने गुरूजनों का आत्मीय स्वागत किया।

चातुर्मास 21 जुलाई 2024 से प्रारंभ हो रहा है। प्रवेश का यह जुलूस सिहावा चौक से प्रारंभ होकर श्री पार्श्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार में आकर समाप्त हुआ। प्रवेश के अवसर पर मणीधारी मित्र मंडल के सभी सदस्यों ने सुंदर भजनों से पूज्य गुरुजनों का स्वागत किया। साथ ही जगह जगह पर समाजजनों एवं शहर के विभिन्न धर्म के मानने वालों के द्वारा पूज्य गुरुओं का स्वागत किया। इस चातुर्मासिक प्रवेश के अवसर पर दिल्ली, गांधीधाम, रायपुर, कवर्धा, बालोद, डोंडी लोहारा, नगरी, बेरला, कोंडागांव तथा कांकेर श्रीसंध से भी समाजजन पधारे थे। श्रीसंघ धमतरी की ओर से सभी का स्वागत किया गया। महिला मंडल एवं विमल पारख ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। चातुर्मास समिति के संयोजक अशोक पारख ने कहा कि अब स्वयं को भी धर्म से जोड़ना है, ताकि यह सहजानंद चातुर्मास भव्य एवं ऐतिहासिक चातुर्मास बन सके।

इस अवसर पर भंवरलाल छाजेड़, विजय गोलछा, रमन लोढ़ा, महेश सेठिया, संजय लोढ़ा, प्रकाश पारख, अजय बरडिया, मोहन गोलछा, पारसमल गोलछा, अनोप राखेचा, विनय पारख, नानू दुग्गड, अशोक राखेचा, धनपत बरडिया, निर्मल बरडिया, शिशिर सेठिया, श्याम डागा, नेहा पारख, अलित बुरड़, दुर्गा दुग्गड़ सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।

चातुर्मास काल जागने का अवसर है

विशुद्ध सागर ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह चातुर्मास काल का अवसर जागने का अवसर है। कम से कम इस चार माह में हमें आलस्य का त्यागकर स्वयं को धर्म ध्यान, आराधना साधना में जोड़ने का अवसर है। इस चार माह में स्वयं को जानने का प्रयास करना है। अपने विचारों को, भावनाओं को विकसित करने का अवसर है। हमें यह प्रयास करना है कि हम कह सके कि आज गुरुओं के प्रवेश के साथ स्वयं का भी प्रवेश करा लिया है। जिस तरह एक स्कूल में विद्यार्थी समय पर स्कूल ड्रेस में पहुंचता है। और अनुशासन में रहता है। उसी तरह हमे भी प्रतिदिन समय पर एक विद्यार्थी की तरह अनुशासित होकर सभी कार्यक्रमों में श्रावक के ड्रेस में पहुंचने का प्रयास करना है।