Vice President Election Process : नतीजा तो बस औपचारिकता? आंकड़ों में समझिए कैसे तय हो चुकी है अगले उपराष्ट्रपति की जीत

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News India Live, Digital Desk: Vice President Election Process :  देश को आज अपना अगला उपराष्ट्रपति मिल जाएगा. पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद हो रहे इस चुनाव के लिए संसद भवन में आज सुबह 10 बजे से मतदान जारी है, जो शाम 5 बजे तक चलेगा. मुकाबला सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच है. वोटों की गिनती भी आज ही शाम 6 बजे से शुरू हो जाएगी और देर रात तक तस्वीर साफ हो जाएगी.

आइए, इस चुनाव से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों और इसके पूरे गणित को आसान भाषा में समझते हैं.

कौन डालता है वोट और कैसे होती है गिनती?

राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ सांसद ही वोट डालते हैं. इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) हिस्सा लेते हैं. कुल मिलाकर 788 सांसद हैं, लेकिन कुछ सीटें खाली होने की वजह से इस बार 781 सांसद ही वोट डाल रहे हैं. जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को आधे से एक ज़्यादा, यानी 391 वोटों की ज़रूरत होगी.

क्या कहता है आंकड़ों का खेल?

मौजूदा आंकड़ों को देखें तो NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है. एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर बहुमत का आंकड़ा है. साथ ही, YSR कांग्रेस जैसी कुछ और पार्टियों का समर्थन भी उन्हें मिलता दिख रहा है, जिससे उनके वोटों की संख्या 427 के पार जाने का अनुमान है. दूसरी ओर, विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के पक्ष में 324 से ज़्यादा वोट पड़ने की संभावना है. इस गणित को देखते हुए यह मुकाबला एकतरफा लग रहा है.

जब निर्विरोध चुने गए उपराष्ट्रपति और किसने दर्ज की सबसे बड़ी जीत

भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव का इतिहास काफी रोचक रहा है. देश को चार बार निर्विरोध उपराष्ट्रपति मिले हैं. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन दो बार (1952 और 1957 में), मोहम्मद हिदायतुल्लाह (1979 में) और डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1987 में) बिना किसी मुकाबले के इस पद के लिए चुने गए.

अगर चुनावी मुकाबले में सबसे बड़ी जीत की बात करें, तो यह रिकॉर्ड पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के नाम दर्ज है. 1992 के उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्हें कुल पड़े 701 वोटों में से 700 वोट मिले थे. यह भारतीय चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीतों में से एक है.

पिछले कुछ चुनावों पर नज़र डालें तो जीत का अंतर लगातार बढ़ता गया है:

  • 2017: वेंकैया नायडू ने विपक्ष के उम्मीदवार को 272 वोटों से हराया.
  • 2022: जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार को 346 वोटों के बड़े अंतर से मात दी.

मौजूदा सियासी माहौल और आंकड़ों को देखते हुए यह तय है कि आज देर शाम जब नतीजों का ऐलान होगा, तो देश को अपना 15वां उपराष्ट्रपति मिल जाएगा.

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