बहुत खूब! गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड किराए पर लेने का चलन बढ़ गया है, एक-दूसरे के कंधे पर सिर रखकर रोने के लिए लगते हैं पैसे

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गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड किराए पर लेने का चलन: कहा जाता है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, लेकिन सच्चा प्यार नहीं, क्योंकि यह अनमोल है और इसकी कोई कीमत नहीं है। लेकिन आज कुछ देश इसे गलत साबित करने के लिए इसकी कीमत तय करने की कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान समय में पूरी दुनिया में किराये पर गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड लेने का चलन बढ़ गया है।

गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड रखने का चलन बढ़ा
अगर कोई कुछ रोमांटिक पल बिताना चाहता है, किसी का साथ चाहता है या बस किसी के कंधे पर सिर रख कर रोने का मन करता है तो अब उसके लिए एक रेट तय हो गया है। खासतौर पर चीन और जापान इस चलन में सबसे आगे हैं, जहां लोग हर इच्छा पूरी करने के लिए उपलब्ध हैं।

ये रिपोर्ट वियतनाम से सामने आई है

हाल ही में वियतनाम से इस ट्रेंड को लेकर एक दिलचस्प रिपोर्ट सामने आई है. जहां लोग अपने माता-पिता को खुश करने के लिए गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड हायर कर रहे हैं।

वियतनाम की 30 वर्षीय पेशेवर महिला रिश्ते की तलाश में है। उसके माता-पिता उस पर शादी करने के लिए दबाव डाल रहे थे क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी इस उम्र में अकेली रहे। महिला ने इस समस्या का अनोखा समाधान निकाला और एक ब्वॉयफ्रेंड को नौकरी पर रख लिया।

रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम में एक गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड को एक हफ्ते के लिए किराए पर लेने का खर्च करीब 100 अमेरिकी डॉलर (करीब 8,000-9,000 रुपये) है। अगर यह एक महीने के लिए है तो इसकी कीमत 16,000-24,000 रुपये तक हो सकती है.

जापान और चीन में यह चलन बढ़ा है

‘किराए पर गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड’ का चलन चीन और जापान में काफी आम हो गया है और कई लोगों के लिए यह पैसा कमाने का एक नया तरीका बन गया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, ज्यादातर लोग जो सफेदपोश कर्मचारी हैं, उनके पास पूर्णकालिक नौकरियां हैं, लेकिन अपने खाली समय में वे ‘किराए पर गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड’ बनकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं।

 

यह चलन क्यों बढ़ रहा है?

विशेषज्ञों के मुताबिक, शादी के बंधन से अलग सोच के कारण किराए पर गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड रखने का चलन बढ़ रहा है। जहां पहले लोग रिश्तों को एक स्थायी और भावनात्मक संबंध के रूप में देखते थे, वहीं अब वे इसे एक आर्थिक और सामाजिक आवश्यकता के रूप में देखते हैं। दीर्घकालिक रिश्तों के लिए प्रतिबद्ध होने के बजाय, लोग अस्थायी और सुविधाजनक रिश्तों की ओर बढ़ रहे हैं, जहां उम्मीदें कम होती हैं।