Vastu & Peace : सिर्फ एक कथा कैसे बदल सकती है घर की एनर्जी? जानिए पूर्णिमा और भगवान विष्णु का ये गहरा कनेक्शन

Post

News India Live, Digital Desk: 2025 का साल धीरे-धीरे अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। दिसंबर का महीना चल रहा है और ऐसे में हमारे मन में अक्सर यह ख्याल आता है कि साल का अंत शांति और सुकून से हो। अगर आपके भी मन में उथल-पुथल है या घर में बिना वजह छोटी-छोटी बातों पर तनाव (Stress) रहता है, तो इसका सबसे प्यारा और अचूक उपाय आ रहा है पूर्णिमा व्रत और सत्यनारायण कथा"

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा (Purnima) की रात सबसे चमकदार और ऊर्जा से भरी मानी जाती है। और जब बात मार्गशीर्ष (Margashirsha) या पौष महीने की हो, तो इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करना 'सोने पर सुहागा' जैसा होता है।

आइए, बिल्कुल आसान लफ्जों में जानते हैं कि इस बार पूर्णिमा कब है, सत्यनारायण कथा घर पर क्यों करनी चाहिए और इसकी तैयारी कैसे करें।

पूर्णिमा क्यों है इतनी पावरफुल?

पूर्णिमा सिर्फ चांद के पूरा होने का दिन नहीं है। शास्त्रों में माना गया है कि इस दिन चंद्रमा अपने पूरे प्रभाव में होता है, जिसका सीधा असर हमारे मन और पानी पर पड़ता है। इस दिन अगर आप भगवान सत्यनारायण (भगवान विष्णु का ही एक सत्य रूप) की कथा करते या सुनते हैं, तो घर की सारी 'निगेटिव एनर्जी' बाहर निकल जाती है और घर का माहौल एकदम पॉजिटिव हो जाता है।

तारीख का कन्फ्यूजन? (When is Purnima in Dec 2025?)

अक्सर व्रत की तारीख (Date) को लेकर पंचांग में दो दिन दिखते हैं। लेकिन साधारण नियम यह है कि जिस शाम को चंद्रोदय (Moonrise) के समय पूर्णिमा तिथि होती है, उसी दिन व्रत और पूजा-पाठ करना सबसे उत्तम होता है। इस दिसंबर में पूर्णिमा (जो कि 4 दिसंबर 2025, गुरुवार के आसपास पड़ रही है) का विशेष महत्व है क्योंकि गुरुवार खुद विष्णु जी का दिन है।

घर पर सत्यनारायण कथा: क्या, क्यों और कैसे?

बहुत से लोग सोचते हैं कि इसके लिए बहुत ताम-झाम चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। भगवान तो बस 'भाव' के भूखे हैं।

क्यों करें कथा?

  • अगर घर में धन की बरकत नहीं हो रही।
  • बच्चों की शादी में अड़चनें आ रही हैं।
  • या फिर बस मन की शांति चाहिए।
    सत्यनारायण भगवान की कथा बताती है कि जो इंसान सच्चाई (Truth) के रास्ते पर चलता है, उसका कभी बुरा नहीं होता।

पूजा के लिए 'स्मार्ट चेकलिस्ट' (Puja Samagri List)

अक्सर हम पूजा के समय कुछ न कुछ भूल जाते हैं। टेंशन मत लीजिये, यहाँ देखिये एक सिम्पल लिस्ट, इसे नोट कर लें या स्क्रीनशॉट ले लें:

  1. प्रसाद (सबसे जरूरी): आटा भूनकर उसमें चीनी और केले मिलाकर बनाया गया 'पंजीरी' का प्रसाद। इसके बिना पूजा अधूरी है।
  2. पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण।
  3. तुलसी दल: भगवान विष्णु तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते।
  4. फल-फूल: केले (खास तौर पर), गेंदे के फूल, आम के पत्ते (तोरण के लिए)।
  5. कलश स्थापना: तांबे का लोटा और उसके ऊपर रखने के लिए नारियल।
  6. बाकी सामग्री: रोली, मौली (लाल धागा), अक्षत (चावल), सुपारी, पान के पत्ते और दीपक।

पूजा करने का सरल तरीका

जरूरी नहीं कि बड़ा आयोजन ही किया जाए।

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को साफ़ करें।
  • भगवान विष्णु/सत्यनारायण जी की फोटो के आगे दीपक जलाएं।
  • कलश स्थापना करें।
  • हाथ में फूल लेकर व्रत का संकल्प (Sankalp) लें— "हे प्रभु, मैं अपने घर की सुख-शांति के लिए आज आपका व्रत/पूजन कर रहा हूँ/रही हूँ।"
  • इसके बाद परिवार के साथ बैठकर श्रद्धा से कथा पढ़ें या सुनें।
  • अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।

चलते-चलते एक खास टिप

दोस्तों, पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को अर्घ्य (दूध मिला जल) देना मत भूलिएगा। कहते हैं इससे मानसिक तनाव छूमंतर हो जाता है। तो इस दिसंबर, अपने घर को भक्ति के उजाले से रोशन कीजिये!

--Advertisement--