Vakratunda Chaturthi 2025: कब है अक्टूबर में, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानें, जो दिलाएंगे हर बाधा से मुक्ति

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News India Live, Digital Desk: Vakratunda Chaturthi 2025: भगवान गणेश, जो विघ्नहर्ता के नाम से जाने जाते हैं, उनकी पूजा के लिए समर्पित 'वक्रतुंड चतुर्थी' का पर्व हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है और हर शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाते हैं. इन दोनों ही चतुर्थी का अपना महत्व होता है, लेकिन वक्रतुंड चतुर्थी भी गणेश भक्तों के लिए उतनी ही revered है. साल 2025 में, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की वक्रतुंड चतुर्थी शुक्रवार, 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

इस दिन भक्तजन गणपति बप्पा को प्रसन्न करने और अपने जीवन से सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि वक्रतुंड चतुर्थी पर विधि-विधान से पूजा करने पर गणेश जी की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है.

वक्रतुंड चतुर्थी 2025 के शुभ मुहूर्त:

  • चतुर्थी तिथि शुरू: 16 अक्टूबर 2025, रात 09 बजकर 31 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2025, शाम 07 बजकर 53 मिनट पर
  • वक्रतुंड चतुर्थी की पूजा का समय (चंद्र दर्शन): 17 अक्टूबर 2025 को शाम 08 बजे के बाद
  • उदया तिथि (सूर्य उदय के हिसाब से) में वक्रतुंड चतुर्थी: 17 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी.

वक्रतुंड चतुर्थी की पूजा विधि:

  1. स्नान और संकल्प: चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद, भगवान गणेश की पूजा का संकल्प लें. अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो निर्जल व्रत का संकल्प भी इसी समय ले सकते हैं.
  2. पूजा की तैयारी: पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. साथ ही, अगर आप गौरी पूजा भी करते हैं, तो माता पार्वती की प्रतिमा भी रख सकते हैं.
  3. पंचामृत स्नान: गणपति बप्पा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान कराएं.
  4. वस्त्र और तिलक: उन्हें नए वस्त्र, खासकर लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें. फिर हल्दी, कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं.
  5. प्रिय वस्तुएं: भगवान गणेश को दूर्वा घास (21 गांठें), लाल फूल, मोदक या लड्डू बहुत पसंद हैं, ये सब अर्पित करें. पान, सुपारी, लौंग, इलायची भी चढ़ाएं.
  6. धूप और दीप: सुगंधित धूप और घी का दीपक जलाएं.
  7. कथा और आरती: गणेश चालीसा का पाठ करें, व्रत कथा पढ़ें और अंत में गणेश जी की आरती उतारें.
  8. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद का भोग लगाकर परिवार में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
  9. चंद्र दर्शन: वक्रतुंड चतुर्थी के दिन शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, तभी व्रत पूर्ण माना जाता है.

माना जाता है कि वक्रतुंड चतुर्थी का व्रत रखने और विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से संतान से संबंधित परेशानियां, स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें और सभी बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं. गणेश जी भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं और उनके जीवन में खुशहाली लाते हैं.

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