Uttar Pradesh : अब लखनऊ का सहारा शहर हुआ सील, बाहर निकले कर्मचारी, देखें पूरी कहानी
News India Live, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि एक ज़माने की शानदार जगह, जहाँ बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे ठहरते थे, वो एक दिन पूरी तरह सील कर दी जाएगी? कुछ ऐसी ही हैरान कर देने वाली ख़बर लखनऊ से आ रही है. जिस 'सहारा शहर' को लोग भव्यता और अमीरी का प्रतीक मानते थे, खासकर उसके मशहूर 'जल महल' हिस्से को, उसे अब सील कर दिया गया है. ये सुनकर कई लोगों को झटका लगा है और वहाँ काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी यह एक बड़ा सदमा है. तो चलिए, जानते हैं क्या है ये पूरा मामला और क्यों आया सहारा के इस बड़े प्रोजेक्ट पर ताला.
सहारा का जल महल सील, कर्मचारी बाहर! एक भव्य अध्याय का दुखद अंत?
लखनऊ के पॉश इलाकों में शुमार गोमती नगर के विस्तार में स्थित 'सहारा सिटी' का जल महल वाला हिस्सा अब सील कर दिया गया है. सेबी (SEBI) ने यह बड़ी कार्रवाई की है, जिससे कभी बॉलीवुड के दिग्गजों और नामी हस्तियों का पसंदीदा ठिकाना रहे इस महल पर ताला लग गया है. सिर्फ इमारतें ही सील नहीं हुईं, बल्कि यहाँ काम करने वाले सभी कर्मचारियों को भी अपना काम छोड़ना पड़ा है और उन्हें परिसर से बाहर निकल जाने का आदेश दे दिया गया है.
आखिर क्यों हुई ये कार्रवाई?
दरअसल, यह कार्रवाई सहारा ग्रुप और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के बीच लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद से जुड़ी हुई है. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत सहारा की संपत्तियों को कुर्क करना या नीलाम करना शुरू किया था, ताकि निवेशकों का बकाया लौटाया जा सके. इसी सिलसिले में सहारा की इस बेहद ख़ास संपत्ति 'जल महल' पर भी ये कार्रवाई की गई है. बताया जा रहा है कि सेबी की तरफ से भारी पुलिस बल की मौजूदगी में इस परिसर को सील किया गया.
एक वक़्त का जलवा, आज ख़त्म!
एक ज़माना था जब 'सहारा शहर' और ख़ासकर उसका 'जल महल' हिस्सा अपनी शान और शौक़त के लिए मशहूर था. ये जगह न केवल सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का निजी निवास था, बल्कि यहाँ देश और दुनिया भर के कई बड़े आयोजन और नामी हस्तियों की आवाजाही लगी रहती थी. बॉलीवुड के बड़े-बड़े फिल्म स्टार्स अक्सर यहाँ रुकते थे या कार्यक्रमों में शिरकत करने आते थे, जिसकी तस्वीरें भी अक्सर मीडिया में देखने को मिलती थीं.
सोचिए, जिसने इतने बड़े और शाही परिसर का निर्माण किया, आज उनकी ही कंपनी को ये सब खोना पड़ रहा है. यह कार्रवाई एक संदेश भी देती है कि क़ानून के दायरे से ऊपर कोई नहीं है, भले ही कोई कितनी भी बड़ी कंपनी या प्रभावशाली व्यक्ति क्यों न हो. यह सिर्फ सहारा समूह के लिए नहीं, बल्कि उन हजारों कर्मचारियों के लिए भी एक मुश्किल वक़्त है, जिनका रोज़गार अचानक से चला गया है. अब देखना ये होगा कि सहारा के अन्य संपत्तियों पर भी ऐसी कोई कार्रवाई होती है या नहीं और इस पूरी स्थिति का आगे क्या नतीजा निकलता है.
--Advertisement--