US Fed Rate Cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का ऐलान किया है। कोरोना महामारी के बाद यह पहला मौका है जब यूएस फेड ने ब्याज दरों में कटौती की है। यूएस फेडरल रिजर्व ने आज 18 सितंबर को सुबह 11:30 बजे (भारतीय समयानुसार) इसका ऐलान किया। महंगाई के लगभग काबू में आने के साथ ही अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि फेड चार साल में पहली बार अपने बेंचमार्क रेट में कटौती करेगा। यूएस फेड का यह फैसला ज्यादातर अर्थशास्त्रियों की उम्मीदों के उलट है। अर्थशास्त्रियों को ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद थी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 4.75 प्रतिशत-5.00 प्रतिशत कर दिया है। फेड ने उच्च मुद्रास्फीति को कम करने के लिए एक साल से अधिक समय तक अपनी नीति दर को 5.25 प्रतिशत-5.50 प्रतिशत के दायरे में रखा था। इस समय पूरी दुनिया में ब्याज दरों में कटौती का इंतजार किया जा रहा है। अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों की बात करें तो यूके, यूरोजोन, कनाडा, मैक्सिको, स्विट्जरलैंड और स्वीडन में ब्याज दरों में कटौती की गई है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने क्या कहा?
चेयरमैन जेरोम पॉवेल की अगुआई में फेडरल रिजर्व ने FOMC के बयान में कहा कि अमेरिका में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। नौकरी की वृद्धि की गति धीमी हो गई है और बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है, लेकिन यह अभी भी कम बनी हुई है। मुद्रास्फीति समिति के 2 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ गई है, लेकिन यह अभी भी कुछ हद तक उच्च बनी हुई है।
समिति का लक्ष्य दीर्घावधि में अधिकतम रोजगार और मुद्रास्फीति दर को 2 प्रतिशत पर लाना है। FOMC के बयान के अनुसार मुद्रास्फीति और जोखिम संतुलन पर प्रगति को ध्यान में रखते हुए समिति ने संघीय निधि दर के लिए लक्ष्य सीमा को 0.50 प्रतिशत घटाकर 4.75-5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
अधिकांश अर्थशास्त्रियों को 25 बीपीएस की कटौती की उम्मीद थी
आपको बता दें कि ज़्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना था कि फेडरल रिजर्व 18 सितंबर को ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा। लेकिन, वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर निक टिमिराओस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि केंद्रीय बैंक ब्याज दर में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। पहले कहा जा रहा था कि 50 बेसिस पॉइंट की कटौती से ऐसा लगेगा कि फेडरल रिजर्व डरा हुआ है।
आरबीआई का रुख क्या होगा?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद अब सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रुख पर टिकी हैं। हालांकि, एसबीआई के चेयरमैन सीएस शेट्टी का मानना है कि खाद्य मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितता के कारण नीतिगत दर में कटौती की कोई संभावना नहीं है।
आरबीआई ने 8 बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले फरवरी 2023 में इसे आखिरी बार बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया गया था। इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान 27 मार्च 2020 को इसे 5.15 फीसदी से घटाकर 4.40 फीसदी और फिर 22 मई 2020 को 4 फीसदी किया गया था। इसके बाद 8 जून 2022 को रेपो रेट में बदलाव किया गया और इसे 4.90 फीसदी किया गया। फिर 5 अगस्त 2022 को इसे 5.40 फीसदी, 30 सितंबर 2022 को 5.90 फीसदी, 7 दिसंबर 2022 को 6.25 फीसदी और 8 फरवरी 2023 को 6.50 फीसदी किया गया। तब से यह स्थिर है। हालांकि बाजार कटौती का इंतजार कर रहा है।
भारतीय शेयर बाजार पर इसका क्या असर होगा?
अब सवाल यह है कि अमेरिकी फेड द्वारा की गई 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर हो सकता है। जानकारों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन एक संदेश यह भी जाएगा कि ब्याज दरों में बड़ी कटौती अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ा रही है। ऐसे में फेड के फैसले के बाद बाजार में बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है।