जम्मू-कश्मीर सरकार ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आधिकारिक उपयोग के लिए 3.04 करोड़ रुपये की लागत से आठ टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ियों की खरीद को मंजूरी दी है। यह गाड़ियां दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर में तैनात की जाएंगी। हालांकि, इस फैसले को लेकर विपक्ष और जनता के बीच नाराजगी बढ़ रही है, जिसमें इसे “जनता की जरूरतों की अनदेखी” बताया जा रहा है।
गाड़ियों की तैनाती का ब्योरा
- दिल्ली: चार गाड़ियां।
- जम्मू: दो गाड़ियां।
- श्रीनगर: दो गाड़ियां।
सरकार के आदेश के अनुसार, इन गाड़ियों की खरीद के लिए आवंटित धनराशि का उपयोग केवल इसी उद्देश्य के लिए किया जाएगा, और खर्च का पूर्ण हिसाब 31 मार्च, 2025 तक प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन गाड़ियों के संचालन के लिए मौजूदा स्टाफ का ही इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि ड्राइवरों के लिए नए पद सृजित किए जाएंगे।
विपक्ष का तीखा हमला
सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा है।
जुनैद मट्टू (श्रीनगर के पूर्व मेयर):
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मट्टू ने लिखा:
“200 यूनिट मुफ्त बिजली, नियमों का उल्लंघन, पीएसआई के लिए उम्र में छूट, लेकिन राजा के काफिले के लिए खरीदारी- वाह।”
- उन्होंने सरकार की प्राथमिकताओं को जनता के हितों के विपरीत करार दिया।
विपक्ष के आरोप:
- यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य में महंगाई और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे लोगों को प्रभावित कर रहे हैं।
- विपक्ष का कहना है कि यह निर्णय जनता के पैसों का दुरुपयोग है और सरकार की प्राथमिकताएं पूरी तरह गलत हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस विवादास्पद निर्णय के बीच हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है।
- उमर अब्दुल्ला ने बडगाम और गांदरबल सीटों से जीत हासिल की।
- भाजपा ने 29 सीटें जीतीं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस की सहयोगी कांग्रेस केवल 6 सीटें जीत पाई।
यह निर्णय, पार्टी की जीत के बाद, विपक्ष को सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने का एक बड़ा मौका दे रहा है।
जनता के बीच नाराजगी
सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च कर महंगी गाड़ियां खरीदने के फैसले ने आम जनता के बीच असंतोष पैदा किया है।
- जनता की राय:
- सरकार को बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में धन खर्च करना चाहिए।
- महंगी गाड़ियों की खरीद को जनता की जरूरतों की अनदेखी के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार का पक्ष और सफाई
अभी तक उमर अब्दुल्ला सरकार की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
- अधिकारियों का कहना है कि इन गाड़ियों की खरीद का उद्देश्य मुख्यमंत्री की सुरक्षा और कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना है।
- सरकार का तर्क है कि यह खर्च नियमानुसार है और इसमें पारदर्शिता बरती गई है।
पहले भी उठा था ऐसा विवाद
यह पहली बार नहीं है जब किसी मुख्यमंत्री की गाड़ियों की खरीद पर विवाद हुआ है। इससे पहले भी कई राज्यों में इस तरह के फैसलों को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं।
- जनता के बीच इस तरह के मुद्दे सरकार की विश्वसनीयता और प्राथमिकताओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।