शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में जबर्दस्त हंगामे और नारेबाजी के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सांसदों की जिम्मेदारियों को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि सांसदों को अपनी जवाबदेही तय करनी होगी और संसद में अव्यवस्था को व्यवस्था मानने की सोच को बदलना होगा।
सांसदों की जवाबदेही पर उपराष्ट्रपति की टिप्पणी
चौधरी चरण सिंह पुरस्कार-2024 के विजेताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र में संवाद और बहस की अहमियत पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि “संसद की कार्यवाही जिस तरह से चल रही है, उससे लोगों ने अव्यवस्था को ही व्यवस्था मान लिया है।”
- उपराष्ट्रपति ने सांसदों से अपील की कि वे संसद की गरिमा बनाए रखें।
- उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर सांसद अपनी भूमिका नहीं निभाएंगे तो जनता उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि उन्हें संसद में क्यों भेजा गया था।
संसद में गतिरोध: शीतकालीन सत्र का हाल
शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में कामकाज लगभग ठप रहा।
- शुरुआती बाधाएं: अडानी समूह से जुड़े मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस।
- आरोप-प्रत्यारोप: विभिन्न मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे।
- अविश्वास प्रस्ताव: कांग्रेस सांसदों ने उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की।
कृषि क्षेत्र पर उपराष्ट्रपति का फोकस
राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कृषि के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
- कृषि की स्थिति:
- उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है।
- जब तक कृषि का विकास नहीं होगा, एक विकसित राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती।
- किसानों की स्थिति:
- भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा कृषि बाजार और उपज है, फिर भी किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
- कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देकर इसे आर्थिक विकास का इंजन बनाया जा सकता है।
2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य
उपराष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रयासरत है।
- आर्थिक चुनौतियां:
- देश की प्रति व्यक्ति आय को मौजूदा स्तर से आठ गुना बढ़ाना होगा।
- यह एक कठिन लक्ष्य है, लेकिन सामूहिक प्रयास से इसे हासिल किया जा सकता है।
- सरकार की भूमिका:
- उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों और प्रयासों की सराहना की।
उपराष्ट्रपति का संदेश: जवाबदेही और विकास पर जोर
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सांसदों से संसद की गरिमा बनाए रखने और लोकतंत्र को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कृषि और ग्रामीण विकास के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है।
“अगर हम सब मिलकर मेहनत करें, तो 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार हो सकता है।”