राजनीति में हर बात साफ तौर पर नहीं कही जाती, ज्यादातर बातें इशारों में कही जाती हैं। कुछ ऐसी ही तस्वीर इन दिनों उत्तर प्रदेश बीजेपी में देखने को मिल रही है। पार्टी के अंदर जो कुछ भी चल रहा है, वो बड़े संकेत दे रहा है। केशव मौर्य के बदले तेवर और सीएम योगी का एक्शन मोड बहुत कुछ कह रहा है।
लोकसभा चुनाव में जैसे ही बीजेपी यूपी में 33 सीटों पर सिमट गई, पूरी पार्टी टेंशन में आ गई. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सैकड़ों बैठकें हो चुकी हैं. दर्जनों बार हार पर चर्चा हो चुकी है. यूपी में बीजेपी की हालत ऐसी क्यों हो गई? क्या यूपी में बीजेपी का संगठन कमजोर हो गया है? या फिर योगी सरकार का काम जमीनी स्तर पर नहीं दिखा? कहा जा रहा है कि हार के इन्हीं कारणों को लेकर समीक्षा की जा रही है. इसी को लेकर सीएम योगी 10 दिनों में करीब 100 विधायकों से मुलाकात भी कर चुके हैं.
सीएम एक के बाद एक अलग-अलग मंडलों के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के साथ एक्शन मोड मीटिंग कर रहे हैं. अभी तक सीएम योगी का काफिला हर जगह जाता रहा है. लेकिन, पहली बार लखनऊ में 5 कालीदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर लगातार जनप्रतिनिधियों की गाड़ियां पहुंचने लगी हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पहले मुरादाबाद मंडल के सांसदों और विधायकों से मिलते हैं. फिर मेरठ मंडल के सांसदों और विधायकों से बात करते हैं. योगी ने बरेली मंडल के सांसदों और विधायकों को भी बुलाकर मीटिंग की.
गुरुवार शाम को योगी ने प्रयागराज मंडल के बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की थी. केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज मंडल से आते हैं. वे इस बैठक में भी नहीं आए. शुक्रवार को सीएम ने लखनऊ मंडल की बैठक बुलाई थी लेकिन केशव प्रसाद मौर्य नहीं आए. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मुरादाबाद मंडल की बैठक से दूर रहे. अब पता चला है कि दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी लखनऊ मंडल की बैठक में मौजूद नहीं थे क्योंकि वे दिल्ली जा रहे थे.
विधायक परेशान, अधिकारी बेलगाम
यूपी में 18 मंडल हैं। वाराणसी को छोड़कर सभी मंडलों की बैठकें हो चुकी हैं। इनमें मुख्यमंत्री जानना चाहते हैं कि वोट क्यों कम हुए। इसके साथ ही उन्होंने जनप्रतिनिधियों से जनता के बीच ज्यादा समय बिताने को कहा है। वहीं, विधायक और सांसद अपने-अपने क्षेत्र की नौकरशाही के बेकाबू होने की शिकायत करते हैं। हर बैठक में कोई न कोई विधायक सीएम योगी के सामने यह मुद्दा उठाता है कि अफसर उनकी बात नहीं सुनते।
गाजियाबाद के लोनी से विधायक नंद किशोर गुर्जर ने एक मीटिंग से बाहर आकर कुछ ऐसा ही कहा. उन्होंने कहा, अगर मुख्यमंत्री अफसरों के खिलाफ सबूत मांगते हैं तो विधायक का बयान ही काफी होना चाहिए. हम अपना काम छोड़कर जनता की सेवा और पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए, यह सब छोड़कर कैमरे लेकर घूमेंगे और कहेंगे कि यह अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहा है. हम इसका सबूत देंगे या फिर कार्यकर्ता इस काम में शामिल होंगे. अगर विधायक कह रहे हैं कि लोग उनके पास आ रहे हैं तो अधिकारी के बारे में सबको पता है कि वह बेईमान है या ईमानदार. अगर वह सही काम नहीं करता और विधायक कह रहे हैं कि लोगों ने बताया कि उनसे इतने पैसे लिए गए या कोई पत्र दिया गया, अगर विधायक उस पर पत्र लिखते हैं तो उस अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए.
हाल ही में जौनपुर से भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह, बुलंदशहर से विधायक प्रदीप चौधरी, योगीराज पार्ट वन में मंत्री रहे मोती सिंह, कन्नौज से हारे सुब्रत पाठक, मिर्जापुर से विधायक रत्नाकर मिश्रा और वाराणसी से विधायक त्रिभुवन राम समेत एक दर्जन से अधिक ऐसे विधायक या भाजपा नेता हैं, जिन्होंने अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की है।
क्या पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है?
मंगलवार सुबह सीएम योगी ने मेरठ मंडल की समीक्षा की। शाम को प्रयागराज मंडल की बारी थी। सबकी निगाहें इस बात पर थी कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इसमें शामिल होंगे या नहीं, लेकिन सभी सवालों का जवाब यही था कि केशव लखनऊ में होने के बावजूद मंडलीय समीक्षा के लिए नहीं आए। इस बैठक में नंद गोपाल नंदी, पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, एमएलसी सुरेंद्र चौधरी, विधायक हर्ष बाजपेयी समेत कई विधायक मौजूद रहे, लेकिन केशव का न आना सबसे बड़ा चर्चा का विषय रहा। हालांकि मौर्य लखनऊ में थे। वह दिनभर पार्टी विधायकों, मंत्रियों और सांसदों से मिलते रहे। सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करते रहे लेकिन योगी की बुलाई बैठक में नहीं गए। वहीं, सिराथू विधायक पल्लवी पटेल से मुलाकात कर सीएम ने अपने इरादे भी जाहिर कर दिए।
सीएम और पल्लवी पटेल की मुलाकात
सीएम और पल्लवी पटेल के बीच करीब आधे घंटे तक मुलाकात चली। इस दौरान क्या चर्चा हुई, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है, लेकिन पल्लवी वही नेता हैं जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में मौर्य को सिराथू विधानसभा सीट से 12000 वोटों से हराया था। पल्लवी पटेल की मुख्यमंत्री से मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पल्लवी समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं और वह अपना दल कमरा वादी की नेता हैं, लेकिन अखिलेश यादव से खराब संबंधों के चलते पल्लवी पटेल ने 2024 का लोकसभा चुनाव ओवैसी के साथ लड़ा था। अब जब योगी ने पल्लवी से मुलाकात की है तो कहा जा रहा है कि क्या यह मुलाकात इसलिए हुई क्योंकि पल्लवी ने 2022 के चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को हरा दिया और क्या अब वह बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं।
राजनीति में हर बात साफ-साफ नहीं कही जाती, ज्यादातर बातें इशारों में कही जाती हैं। संकेत मिल रहे हैं कि केशव के तेवर बदले-बदले नजर आ रहे हैं। पहले उन्होंने पार्टी की संगठन बैठक में मुख्यमंत्री पर कटाक्ष किया। फिर संगठन और कार्यकर्ताओं के नाम पर इसका खूब प्रचार-प्रसार किया। केशव को दिल्ली बुलाया गया लेकिन लखनऊ पहुंचने के बाद उन्होंने एक के बाद एक कई नेताओं से मुलाकात की।