UP Politics : जो दीया जला सकते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं, अखिलेश के बाद अब आज़म ख़ान के इस बयान से यूपी की सियासत में लगी आग
News India Live, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की राजनीति में “दीये” को लेकर छिड़ी बहस खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के अयोध्या दीपोत्सव पर सवाल उठाने के बाद अब पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान ने एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसने इस विवाद को और हवा दे दी है. अपने चिर-परिचित अंदाज़ में आज़म ख़ान ने कहा कि “जो लोग दीया जला सकते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं.” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है और इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
क्या है आज़म ख़ान का पूरा बयान?
एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान जब आज़म ख़ान से दिवाली को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने पहले तो यह चुभने वाली लाइन कही. हालांकि, उन्होंने तुरंत अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "दिवाली के इस पर्व पर दीये जलते नहीं, बल्कि रोशन होते हैं. उनका मकसद उजाला देना और ठंडक देना होता है, नफरतों के अंधेरों को मिटाना होता है. मैं उन लोगों की सराहना करता हूं और उनसे मोहब्बत करता हूं.”
भले ही आज़म ख़ान ने बाद में दीये जलाने वालों की तारीफ़ की, लेकिन उनकी पहली लाइन ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है. लोग उनके इस बयान को सरकार पर एक तंज के रूप में देख रहे हैं.
कैसे शुरू हुआ ‘दीया विवाद’?
इस पूरे विवाद की शुरुआत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक बयान से हुई थी. उन्होंने अयोध्या में होने वाले भव्य दीपोत्सव के आयोजन पर खर्च को लेकर सवाल उठाए थे. अखिलेश ने कहा था, “हमें क्रिसमस से सीखना चाहिए, जहां महीनों तक शहर जगमगाते हैं. हमें दीयों और मोमबत्तियों पर बार-बार इतना पैसा क्यों खर्च करना चाहिए?”
अखिलेश के इस बयान के बाद बीजेपी उन पर हमलावर हो गई. बीजेपी नेताओं ने उन पर हिंदू-विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया. बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि “अखिलेश यादव को भी अब राहुल गांधी की तरह गलत सलाहकार मिल गए हैं.”
अखिलेश के बचाव में उतरे या आग में घी डाला?
अखिलेश यादव जब दीये पर दिए अपने बयान को लेकर घिरे हुए थे, ठीक उसी समय आज़म ख़ान का यह बयान सामने आया. राजनीतिक जानकार इसे आज़म ख़ान का अपने नेता के बचाव में उतरने का एक तरीका मान रहे हैं. हालांकि, उनके बयान के दोहरे अर्थ ने इस आग में घी डालने का ही काम किया है. अब देखना यह है कि यूपी की सियासत में दीये से लगी यह आग और कितनी दूर तक जाती है.
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