Union Budget 2025: सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय संतुलन और तेज आर्थिक वृद्धि पर होगा जोर

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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट 2025 पेश करेंगी। इस बार का बजट ऐसे समय में आ रहा है जब भारत की GDP ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई है। वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% पर पहुंच गई। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इस बजट में आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा कर सकती है।

सामाजिक सुरक्षा पर फोकस

सरकार इस बार सामाजिक सुरक्षा (Social Security) पर विशेष जोर दे सकती है।

  • वर्तमान स्थिति:
    • International Labour Organization (ILO) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सोशल प्रोटेक्शन पर सरकारी खर्च बहुत कम है।
    • असंगठित क्षेत्र:
      • भारत के अधिकांश श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं।
      • 2020 में कोविड महामारी के बाद से कमजोर वर्गों की समस्याएं बढ़ी हैं।

संभावित घोषणाएं:

  • सरकार बजट में सोशल सिक्योरिटी खर्च बढ़ाने की घोषणा कर सकती है।
  • श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के लिए नई योजनाएं लाने का ऐलान संभव है।

वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) कम करने पर जोर

सरकार अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

  • वर्तमान लक्ष्य:
    • FY25 के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 5.9% रखा गया है।
    • सरकार FY26 में इसे 4.5% तक लाने का लक्ष्य तय कर सकती है।
  • FRBM एक्ट का अनुपालन:
    • पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन (FRBM) के तहत घाटे को नियंत्रित करने पर जोर दिया है।

GDP ग्रोथ बढ़ाने के उपाय

FY25 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% पर आ गई।

  • प्रमुख कारण:
    • मई 2024 के लोकसभा चुनाव।
    • तेज गर्मी और मानसून की बारिश से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं।

सरकार का दृष्टिकोण:

  • 2047 तक विकसित देश का लक्ष्य:
    • भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए हर साल 7-8% GDP ग्रोथ की जरूरत है।
  • रोजगार सृजन पर फोकस:
    • बजट में रोजगार बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और श्रम-प्रधान उद्योगों को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं का ऐलान हो सकता है।

विकास दर बढ़ाने के लिए रणनीति

  1. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश बढ़ाना:
    • सड़क, रेलवे और हवाई अड्डों के निर्माण में तेज़ी।
  2. मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन:
    • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का विस्तार।
  3. रोजगार सृजन:
    • श्रम-प्रधान उद्योगों जैसे टेक्सटाइल और कृषि क्षेत्र के लिए नई योजनाएं।
  4. ग्रामीण विकास:
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि क्षेत्र में निवेश।