यूनियन बजट 2025: रोजगार सृजन और आर्थिक विकास पर जोर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 दिसंबर को अर्थशास्त्रियों के साथ एक विशेष बैठक की, जिसमें आगामी यूनियन बजट 2025 की प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। इस बातचीत का मुख्य फोकस रोजगार के अवसरों में वृद्धि और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को यह बजट पेश करेंगी। यह बजट ऐसे समय पर आ रहा है, जब भारत की जीडीपी वृद्धि दर गिरकर 5.4% (FY 2024-25 की दूसरी तिमाही) पर पहुंच गई है।

रोजगार सृजन: प्राथमिक एजेंडा

प्रधानमंत्री की बैठक में रोजगार के अवसर बढ़ाने के उपायों पर गहन चर्चा हुई। अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि सरकार को उन सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए, जहां श्रमिकों की अधिक आवश्यकता होती है।

प्रमुख सिफारिशें:

  1. स्किल डेवलपमेंट और ट्रेनिंग:
    • रोजगार बाजार की मांग को पूरा करने के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम।
    • उच्च गुणवत्ता वाले स्किल डेवलपमेंट कोर्स।
  2. लेबर-इंटेंसिव सेक्टर्स पर फोकस:
    • निर्माण (Construction)
    • कृषि (Agriculture)
    • टेक्सटाइल और मैन्युफैक्चरिंग
  3. निजी निवेश को आकर्षित करना:
    प्राइवेट इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल नीतियां और प्रोत्साहन।

कृषि उत्पादकता और आर्थिक विकास

बैठक में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर कृषि उत्पादकता से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि जीडीपी ग्रोथ में भी सुधार होगा।

मुख्य बिंदु:

  1. एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा:
    • विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उपाय।
    • कृषि उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए बेहतर नीतियां।
  2. इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश:
    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक खर्च।
    • इससे आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  3. फाइनेंशियल इनक्लूजन:
    • अधिक से अधिक आबादी को बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं से जोड़ने पर जोर।
    • सरकार का उद्देश्य है कि आम जनता की जेब में अधिक पैसा पहुंचे।

2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के अपने लक्ष्य को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह केवल तभी संभव है, जब आर्थिक विकास को तेज किया जाए और सोचने के तरीके में बुनियादी बदलाव लाया जाए।

आवश्यक कदम:

  1. तेज आर्थिक सुधार:
    • आर्थिक नीतियों में सुधार और उनके प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर।
  2. दीर्घकालिक विकास रणनीति:
    • तकनीक, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों में निवेश।
  3. जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताओं का प्रबंधन:
    वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए कूटनीतिक और आर्थिक तैयारियां।

बैठक में शामिल प्रमुख अर्थशास्त्री

इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत के शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:

  • मदन सबनवीस
  • सुरजीत एस भल्ला
  • अशोक गुलाटी
  • धर्मकीर्ति जोशी
  • जनमेजय सिन्हा

बजट से उम्मीदें: संभावित घोषणाएं

  1. रोजगार सृजन के लिए योजनाएं:
    • श्रमिकों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम।
    • MSMEs और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन।
  2. कृषि सुधार:
    • किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई नीतियां।
    • कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं।
  3. इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च:
    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे का विकास।
    • परिवहन, ऊर्जा और जल प्रबंधन पर ध्यान।
  4. फाइनेंशियल इनक्लूजन:
    • वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच।
    • महिलाओं और ग्रामीण आबादी के लिए विशेष योजनाएं।