वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को यूनियन बजट 2025 पेश करेंगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री को उम्मीद है कि इस बजट में EV सेगमेंट को बढ़ावा देने के लिए बड़े फैसले किए जाएंगे। सरकार 2030 तक ऑटोमोबाइल बिक्री में EV की 30% हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहती है। इस लक्ष्य को पाने के लिए इंडस्ट्री ने सरकार से सब्सिडी और टैक्स में राहत की मांग की है।
चार्जिंग सर्विस पर जीएसटी घटाने की मांग
- EV पर 5% GST लगता है।
- बैटरी पर भी GST दर 5% है।
- लेकिन EV चार्जिंग सर्विस पर 18% GST लागू है।
इंडस्ट्री का मानना है कि अगर चार्जिंग सर्विस पर GST को घटाकर 5% कर दिया जाए, तो EV उपयोग को और बढ़ावा मिलेगा। इससे न केवल EV की बिक्री में तेजी आएगी, बल्कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती मिलेगी।
आम आदमी के लिए सब्सिडी स्कीम की जरूरत
- सरकार का लक्ष्य:
- EV की बिक्री को बढ़ाने और जनता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को सब्सिडी और प्रोत्साहन देने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
- अभी तक सरकार ने EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ₹2,000 करोड़ का आवंटन किया है।
- चार्जिंग स्टेशन का विस्तार:
- 22,100 चार्जिंग स्टेशन चार पहिया वाहनों के लिए।
- 1,800 चार्जिंग स्टेशन इलेक्ट्रिक बसों के लिए।
- 48,400 चार्जिंग स्टेशन दो और तीन पहिया वाहनों के लिए बनाए जाएंगे।
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राज्य स्तर पर अलग-अलग पॉलिसी
- विभिन्न राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी का प्रावधान है, लेकिन नीतियां अलग-अलग हैं।
- तमिलनाडु: ₹10,000 तक की सब्सिडी।
- महाराष्ट्र: ₹5,000 तक की सब्सिडी।
- पंजाब: ₹3,000 तक की सब्सिडी।
- झारखंड: ₹5,000 तक की सब्सिडी।
केंद्र सरकार की पॉलिसी का महत्व:
विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार यदि एक समान सब्सिडी योजना लाए, तो पूरे देश में EV बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और सभी राज्यों को इसका लाभ मिलेगा।
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EV इंडस्ट्री को बजट 2025 से क्या उम्मीदें हैं?
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:
- चार्जिंग स्टेशन के विस्तार के लिए और अधिक फंड का आवंटन।
- चार्जिंग नेटवर्क को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से विकसित करना।
- सब्सिडी का विस्तार:
- केंद्र सरकार की ओर से एक राष्ट्रीय स्तर की सब्सिडी योजना लागू करना।
- दो और तीन पहिया EV के लिए विशेष सब्सिडी।
- GST में कटौती:
- EV चार्जिंग सेवाओं पर GST को 18% से घटाकर 5% करना।
- आम आदमी के लिए किफायती EV विकल्प:
- अधिक किफायती EV मॉडल्स को बढ़ावा देने के लिए टैक्स छूट।
- बैटरी के आयात शुल्क में कमी।