UIDAI ने दी बड़ी राहत, अब ये 8 तरीके अपनाएं, आधार के गलत इस्तेमाल से बचें, फोन या ऐप से आधार कैसे हटाएं?

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नई दिल्ली: आधार कार्ड आज की डिजिटल दुनिया में हमारी पहचान का एक अहम हिस्सा बन गया है। टेलीकॉम ऑपरेटरों से लेकर पेमेंट ऐप्स तक, लगभग हर जगह eKYC (इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर) के लिए इसका इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपका आधार कहीं गलत हाथों में पड़ जाए तो क्या होगा? आपके लिए चिंता की बात हो सकती है, लेकिन UIDAI (Unique Identification Authority of India) ने आपकी गोपनीयता (privacy) की सुरक्षा के लिए कई उपाय सुझाए हैं। आइए जानते हैं कि आप अपने आधार को सुरक्षित रखने और जहां संभव हो, उसे विभिन्न सेवाओं और ऐप्स से डी-लिंक (delink) करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।

1. UIDAI की ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री (Authentication History) चेक करें

यह जानने के लिए कि आपका आधार कहाँ-कहाँ इस्तेमाल हुआ है, UIDAI.gov.in पर जाएं।

अपने आधार नंबर और OTP (वन-टाइम पासवर्ड) से लॉग इन करें।

Aadhaar Authentication History सेक्शन पर क्लिक करें।

यहां आपको आपके आधार के हर इस्तेमाल का रिकॉर्ड दिखेगा। उन सेवाओं या ऐप्स की पहचान करें जिन्हें आप नहीं पहचानते या जिनका अब उपयोग नहीं करते।

यह कदम आपको यह समझने में मदद करेगा कि आपका आधार कहाँ-कहाँ इस्तेमाल हो रहा है और क्या कहीं कोई अनधिकृत (unauthorized) इस्तेमाल हो रहा है।

2. टेलीकॉम ऑपरेटर्स से आधार डी-लिंक (Delink) करें

2018 के बाद से, टेलीकॉम कंपनियों के लिए KYC (Know Your Customer) के लिए आधार को अनिवार्य करना गैरकानूनी है।

अपने मोबाइल ऑपरेटर के नजदीकी स्टोर पर जाएं।

अपना PAN कार्ड या Voter ID साथ ले जाएं।

उनसे अपने रिकॉर्ड से आधार को हटाने का अनुरोध करें। TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) के निर्देशों के अनुसार, वे इसका पालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं।

यह सुनिश्चित करता है कि आपकी सिम कार्ड सेवा आपके आधार से अलग रहे, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।

3. पेमेंट और वॉलेट ऐप्स (Payment & Wallet Apps) से आधार साफ करें

Paytm, PhonePe, या MobiKwik जैसे ऐप्स अक्सर eKYC के लिए आपका आधार स्टोर करते हैं।

ऐप की सेटिंग्स (Settings) में जाएं।

KYC या पर्सनल इन्फॉर्मेशन (Personal Information) सेक्शन खोलें।

वहां 'आधार हटाने' (remove or change Aadhaar) का विकल्प खोजें।

यदि ऐप में यह विकल्प नहीं है, तो उनके कस्टमर केयर टीम को ईमेल या पत्र लिखकर औपचारिक रूप से डी-लिंकिंग का अनुरोध करें।

डिजिटल भुगतान करते समय हम अक्सर अपनी व्यक्तिगत जानकारी कई ऐप्स के साथ साझा करते हैं। उन्हें नियमित रूप से साफ करना सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

4. आधार के बजाय वैकल्पिक पहचान (Alternative IDs) का प्रयोग करें

आधार को हटाने के बाद, ऐप्स को पुनः सत्यापन (re-verification) के लिए कह सकते हैं।

आप अपने पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, या वोटर आईडी का उपयोग कर सकते हैं।

कुछ ऐप्स को सत्यापन पूरा करने के लिए सेल्फी या एक छोटा वीडियो भी आवश्यक हो सकता है - व्यवधान से बचने के लिए इसे शीघ्रता से करें।

अपने आधार को विभिन्न सेवाओं से अलग करके, आप किसी एक बिंदु पर संभावित हैक या दुरुपयोग के जोखिम को कम करते हैं।

5. डी-लिंक न कर पाने पर रिपोर्ट करें

यदि आपको किसी ऐप या सेवा से अपना आधार डी-लिंक करने में समस्या आती है:

सबसे पहले, उस सेवा के शिकायत निवारण दल (grievance redressal team) से संपर्क करें।

यदि आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो UIDAI के आधिकारिक शिकायत पोर्टल (complaint portal) के माध्यम से सीधे UIDAI से संपर्क करें।

टेलीकॉम-संबंधित समस्याओं के लिए, TRAI से शिकायत करें, क्योंकि वे इन सेवाओं की निगरानी करते हैं।

यदि इनमें से कोई भी कदम काम नहीं करता है, तो कानूनी सहायता (legal assistance) लेने पर विचार करें।

6. मास्क्ड आधार (Masked Aadhaar) या वर्चुअल आईडी (Virtual ID) का प्रयोग करें!

क्या आपको अपना आधार साझा करना है लेकिन दुरुपयोग का डर है?

मास्क्ड आधार का उपयोग करें (जिसमें केवल अंतिम 4 अंक दिखाई देते हैं)।

या VID (Virtual ID) का उपयोग करें - यह एक अस्थायी 16-डिजिट कोड होता है।

दोनों में वैध QR कोड और हस्ताक्षर होते हैं, जो उन्हें अधिकांश मामलों में सुरक्षित और कानूनी रूप से मान्य बनाते हैं।

यह आपकी निजता को सुरक्षित रखने का एक उत्कृष्ट तरीका है, खासकर जब आप पहचान के प्रमाण के रूप में अपना पूरा आधार साझा नहीं करना चाहते।

7. हर ऐप के लिए आधार का सत्यापन न कराएं

आगे से, जब तक बिल्कुल आवश्यक न हो, सत्यापन के लिए आधार का उपयोग न करें। अधिकांश सेवाएं वैकल्पिक पहचान (alternate IDs) स्वीकार करती हैं। आधार का कम उपयोग करने का मतलब है कि इसके दुरुपयोग की संभावना भी कम हो जाती है।

8. हर 6 महीने में दोहराएं: चेक एंड रिपीट नियम

डिजिटल फुटप्रिंट्स (Digital footprints) तेजी से विकसित होते हैं। UIDAI के ऑथेंटिकेशन इतिहास को हर 6 महीने में फिर से जांचने के लिए एक रिमाइंडर सेट करें। नियमित जांच आपको नए लिंक पहचानने और दुरुपयोग शुरू होने से पहले रोकने में मदद करती है।

आधार को सुरक्षित रखना और इसके उपयोग को नियंत्रित करना आपकी डिजिटल सुरक्षा (digital security) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन उपायों को अपनाकर, आप अपने व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रख सकते हैं और संभावित धोखाधड़ी से बच सकते हैं।

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