विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए हैं। ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत किए गए हैं। इसके तहत अब जिस विषय में उम्मीदवार ने पीएचडी, नेट या जेआरएफ क्वालिफाई किया होगा, उसी विषय में लेक्चरर नियुक्त किए जाएंगे।
शिक्षा और नियुक्ति में लचीलापन
- महत्वपूर्ण बदलाव:
- अब यह जरूरी नहीं है कि जिस विषय में स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) किया गया है, उसी विषय में पीएचडी या नेट क्वालिफाई किया जाए।
- जिस विषय में उम्मीदवार ने नेट या पीएचडी की है, उसी विषय के व्याख्याता बनने का अवसर मिलेगा।
- लक्ष्य:
- छात्रों को बहुविषयक शिक्षा के लिए प्रेरित करना।
- उच्च शिक्षा के स्तर पर विषय चयन में अधिक लचीलापन प्रदान करना।
शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बदलाव
प्रो. केएन सिंह (कुलपति, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने कहा:
- लचीलापन:
- शिक्षक बनने के लिए अब एक ही विषय में पढ़ाई की बाध्यता खत्म की जा रही है।
- स्नातक और स्नातकोत्तर के दौरान बहुविषयक पढ़ाई की आजादी दी जा रही है।
- विशेषज्ञता:
- फाइन आर्ट्स, योग, नाटक, जैसे क्षेत्रों में महारत रखने वाले सीधे सहायक प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड या पुरस्कार होना अनिवार्य।
प्रमोशन में नया मूल्यांकन सिस्टम
- नए मूल्यांकन बिंदु:
- शोधपत्र, स्टार्टअप, उद्यमिता, नवाचार, पेटेंट, उद्योग साझेदारी।
- प्रमोशन के लिए अनिवार्य शर्तें:
- असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद के लिए पीएचडी और फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग जरूरी।
- समय सीमा:
- असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बनने में 12 साल का समय।
- उद्देश्य:
- शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारना।
- समाज, विश्वविद्यालय और शोध कार्यों में सकारात्मक योगदान देना।
शिक्षा में समग्र विकास की दिशा
- बहुविषयक शिक्षा का समर्थन:
- एनईपी 2020 के तहत छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर समग्र विकास के लिए विभिन्न विषयों का अध्ययन करने का अवसर।
- विशेषज्ञों का कहना:
- पारंपरिक विषयों के साथ छात्रों को विविध कौशल और विषय ज्ञान प्रदान करना रोजगार के लिए जरूरी है।
यूजीसी रेगुलेशन 2018 में संशोधन
- असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर तक प्रमोशन:
- वर्तमान प्रक्रिया में बदलाव कर गुणवत्ता आधारित मूल्यांकन को प्राथमिकता दी जाएगी।
- फोकस क्षेत्र:
- छात्रों को वैश्विक स्तर के बदलावों के लिए तैयार करना।
- विषयों के पारंपरिक ज्ञान को नवाचार, उद्यमिता और प्रौद्योगिकी से जोड़ना।