दुबई की हिंदी साहित्यकार डॉ आरती लोकेश को यूएई सरकार ने दिया गोल्डन वीजा

दुबई, 3 जून (हि.स.)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार ने हिंदी की 21 पुस्तकों की लेखक डॉ. आरती ‘लोकेश’ को गोल्डन वीजा दिया है।

यूएई में हिंदी साहित्य की सेवा के लिए दुबई के सांस्कृतिक मंत्रालय ने डॉ आरती को ‘जीनियसेस ऑफ़ टेलेंट’(विलक्षण प्रतिभा) की श्रेणी में रखकर गोल्डन वीजा देने के लिए अनुशंसित किया था। भारतवासी डॉ आरती गाजियाबाद की रहने वाली हैं और पिछले ढाई दशक से दुबई में शिक्षण कार्य कर रही हैं। डॉ आरती के साहित्य में यूएई की समृद्ध और सशक्त संस्कृति के साथ भारतीय संस्कृति की झलक भी मिलती है। उनकी अनेक कहानियां यूएई की भूमि पर रची गई हैं। उनका उपन्यास ‘निर्जल सरसिज’ का कथानक तो यूएई में ही घटित होता है। यूएई के राष्ट्रीय वृक्ष ‘ग़ाफ़’ (खेजड़ी) पर रची गई उनकी कविता ‘मरुस्थल का राजा’ कई विद्यालयों में आयोजित ग़ाफ़ जागरुकता कार्यक्रम के दौरान सिखाई व सुनाई गई।

गोल्डन वीजा मिलने पर डॉ. आरती ने यूएई सरकार और निवासियों के साथ यहां के उदार शासक को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि दूरदृष्टा शासकों का यह उपक्रम कला, प्रतिभा और संस्कृति को निखारने, संवारने व संभालने की नीयत और उनके अभियान को दर्शाता है। डॉ. आरती ने कहा कि सरकार का यह कदम बहुगुणित होकर अन्य आकांक्षी रचनाकारों को साहित्य-पथ पर अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करेगा।

डॉ आरती को गोल्डन वीजा मिलने पर दुबई की कीर्तन साहित्य सभा के संस्थापक व सीए डॉ साहित्य चतुर्वेदी ने कहा कि डॉ आरती दुबई में हिंदी साहित्य की एक उभरती साहित्यकार हैं, जिन्होंने एक इंटरमीडिएट स्कूल में कार्यरत रहते हुए बहुत कम समय में अपना मुकाम बनाया है। डॉ साहित्य ने कहा कि मरुस्थल क्षेत्र और अहिंदीभाषी लोगों के बीच रहकर हिंदी साहित्य का सृजन करना महत्वपूर्ण है। डॉ आरती को गोल्डन वीजा देने के लिए मैं भारतीय दूतावास और यूएई सरकार को धन्यवाद देता हूं। यूएई ने चार वर्ष पहले ही गोल्डन वीजा देने का प्रावधान शुरू किया है। यह वीजा मात्र नहीं है, यह एक अलंकरण है, जो संभवता पहली बार यूएई सरकार ने किसी हिंदी साहित्यकार का दिया है।

डॉ आरती को गोल्डन वीजा मिलने पर पूरे यूएई में हिन्दी साहित्य की सेवा करने वालों में हर्ष की लहर है। डॉ आरती पूरे यूएई के हिंदी के युवा रचनाकारों और लेखकों का मार्गदर्शन भी करती हैं। अब लगभग 70 से अधिक सम्मान व प्रशस्ति पाने वाली डॉ आरती को वर्ष 2023 में प्रतिष्ठित ‘आप्रवासी भारतीय साहित्य सृजन सम्मान’ से भी नवाज़ा जा चुका है।