14 दिन में ही कांग्रेस में शामिल हुए नेता का यू-टर्न, बिना टिकट मिले दाखिल किया निर्दलीय पर्चा

लोकसभा चुनाव 2024: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस की मुसीबत बढ़ती दिख रही है। एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. अब बिहार में कांग्रेस को झटका लगने की आशंका है. यहां पप्पू यादव ने बगावत कर दी है. आज उन्होंने पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है. गौरतलब है कि 20 मार्च को पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (JAP) का कांग्रेस में विलय कर दिया था.

कांग्रेस और राजद के लिए मुसीबत!

बिहार में सीट बंटवारे में पूर्णिया सीट राजद के खाते में गई और उन्होंने लालू-तेजस्वी को टिकट न देकर बीमा भारती को टिकट दे दिया, जबकि पप्पू यादव टिकट की शर्त पर कांग्रेस में शामिल हो गए. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि क्या वह निर्दलीय उम्मीदवारी दाखिल करने के बाद कांग्रेस में बने रहेंगे या नहीं? बीमा भारती ने कल अपना नामांकन दाखिल किया, लेकिन पप्पू यादव की बगावत चुनावी लड़ाई में कांग्रेस और राजद के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.

उम्मीदवारी दाखिल करने से पहले शक्ति प्रदर्शन

घर पर पूजा-पाठ करने के बाद सड़क पर अपने समर्थकों के साथ पप्पू यादव डीसी ऑफिस पहुंचे और पूर्णिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी उम्मीदवारी दाखिल की. बता दें कि चार दिन पहले ही पप्पू यादव ने लालू प्रसाद यादव को पूर्णिया से अपना उम्मीदवार बदलने की चेतावनी दी थी. उन्होंने 4 अप्रैल को पूर्णिया से अपनी उम्मीदवारी दाखिल करने की भी घोषणा की. इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा, ‘पप्पू यादव को पूर्णिया से अपनी उम्मीदवारी दर्ज कराने की जिद छोड़ देनी चाहिए. अगर उन्होंने उम्मीदवारी दाखिल की तो कांग्रेस कार्रवाई करेगी, क्योंकि कांग्रेस के खाते में पूरी सीट नहीं है.’

 

पूर्णिया सीट से क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं पप्पू यादव?

पूर्णिया लोकसभा सीट से क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं पप्पू यादव? इस सीट पर बने राजनीतिक समीकरण उनके पक्ष में नजर आ रहे हैं, इसलिए पप्पू यादव ने पूर्णिया सीट को चुना है. पप्पू यादव पांच बार लोकसभा चुनाव जीते, लेकिन पूर्णिया सीट से 3 बार जीते. एक बार समाजवादी पार्टी की सीट से चुनाव जीते थे.

इस मुलाक़ात का यौन समीकरण क्या है? 

पूर्णिया सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 60 फीसदी हिंदू और 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. यहां डेढ़ लाख से ज्यादा यादव मतदाता हैं. यहां एक लाख से ज्यादा ऊंची जाति के वोटर हैं. इनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाता भी हैं. ऐसे में पूर्णिया सीट से चुनावी लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है.