10 मार्च 2025 को अमेरिकी शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। Nasdaq में 4% और S&P 500 में 2.70% की गिरावट देखने को मिली। इस गिरावट का मुख्य कारण पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति मानी जा रही है। ट्रंप की नई व्यापारिक नीतियों से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ गई है, जिससे निवेशकों में डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को S&P 500 के उच्चतम स्तर से 4 ट्रिलियन डॉलर का बाजार मूल्य डूब गया, जिससे वैश्विक निवेशकों को बड़ा झटका लगा।
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टेक्नोलॉजी शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट
2022 के बाद पहली बार 10 मार्च 2025 को टेक्नोलॉजी सेक्टर के शेयरों में इतनी बड़ी गिरावट देखी गई। हालांकि, यह गिरावट सिर्फ स्टॉक मार्केट तक सीमित नहीं रही, बल्कि अन्य वित्तीय बाजारों में भी इसका असर दिखा—
- एसेट क्लास में भारी बिकवाली हुई।
- कॉरपोरेट बॉन्ड्स की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
- यूएस डॉलर पर दबाव बढ़ा।
- क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में भी उथल-पुथल मची रही।
- यूएस बॉन्ड्स की कीमतें भी तेजी से गिरीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ निर्णयों ने बाजार में अनिश्चितता को और गहरा कर दिया है, जिससे निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई है।
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने क्यों बढ़ाई चिंता?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा, उन्होंने भारत के साथ भी बराबरी के टैरिफ लागू करने की बात कही है।
इस निर्णय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा, जिससे अमेरिकी बाजार पर दबाव बढ़ सकता है। टैरिफ नीति की वजह से—
- विदेशी निवेशक सतर्क हो गए हैं।
- व्यापारिक रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ सकती है, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ेगा।
इन संभावनाओं के कारण निवेशकों ने शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया, जिससे व्यापक स्तर पर बिकवाली देखने को मिली।
एक्सपर्ट्स क्या कह रहे हैं?
V.K. विजयकुमार (चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज)
“ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और उससे जुड़ी अनिश्चितता की वजह से अमेरिकी स्टॉक मार्केट में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा गया है, जिससे शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है।”
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का सीधा असर भारतीय बाजार पर भी दिखने लगा है।
- विदेशी निवेशक (FII) भारत से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार में दबाव बढ़ा है।
- भारतीय शेयर बाजार पहले से ही कमजोर स्थिति में था, और अब अमेरिकी मंदी के प्रभाव से यह और प्रभावित हो सकता है।
- आईटी और फार्मा सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि इनका अमेरिकी बाजार पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
अगर अमेरिकी बाजार में यह मंदी लंबी चलती है, तो भारतीय बाजार में भी तेजी से सुधार की संभावना कम हो जाएगी और निवेशकों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
क्या करें निवेशक?
- एक्सपर्ट्स की सलाह है कि आईटी और फार्मा सेक्टर के शेयरों पर खास नजर रखें।
- अल्पकालिक निवेशकों को अभी बड़े निवेश से बचना चाहिए।
- दीर्घकालिक निवेशकों को बाजार में स्थिरता आने तक धैर्य रखना चाहिए।
अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होता, तो भारतीय बाजार पर और दबाव बढ़ सकता है। इसलिए निवेशकों को सतर्क रहने और बाजार की गतिविधियों पर करीबी नजर रखने की जरूरत है।