
ट्रम्प 2 अप्रैल मुक्ति दिवस: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल, 2025 को ‘मुक्ति दिवस’ घोषित किया है। इस दिन से वे विभिन्न देशों से आयातित वस्तुओं पर नये टैरिफ लगाने जा रहे हैं। ट्रम्प ने इसे अमेरिका के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया है, जिसका उद्देश्य देश को विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता से मुक्त करना और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इस घोषणा से भारत सहित वैश्विक व्यापार, बाजार और उपभोक्ताओं के बीच बहस और अनिश्चितता पैदा हो गई है। इससे अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच पहले से चल रहे व्यापार युद्ध के और तीव्र होने की संभावना है।
‘मुक्ति दिवस’ क्या है? – टैरिफ योजना और उद्देश्य
ट्रम्प ने 2 अप्रैल को “मुक्ति दिवस” कहा और कहा कि उनकी नई टैरिफ नीति अमेरिका को विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता से मुक्त करेगी। उनका कहना है कि ये शुल्क उन देशों द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए करों के बराबर होंगे। हालाँकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इस नीति का क्रियान्वयन कैसे किया जाएगा। ट्रम्प का मानना है कि इस कदम से अमेरिका का व्यापार असंतुलन ठीक हो जाएगा और उन देशों को जवाब मिलेगा जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाते हैं। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “दशकों से दुनिया के हर देश ने हमें लूटा है, चाहे वह दोस्त हो या दुश्मन। अब समय आ गया है कि अमेरिका अपना पैसा और सम्मान वापस ले।”
ट्रम्प प्रशासन ने संकेत दिया है कि ये टैरिफ उन देशों पर केंद्रित होंगे जिनका संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष है, जैसे चीन, यूरोपीय संघ, मैक्सिको, वियतनाम, जापान और भारत।
कौन से उत्पाद टैरिफ के अधीन होंगे?
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलीन लेविट के अनुसार, ट्रम्प बुधवार को लगभग सभी व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाने की योजना का अनावरण करेंगे। इस टैरिफ की प्रकृति अभी भी स्पष्ट नहीं है। आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगाया जा सकता है, विशेष रूप से यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, ब्राजील और भारत जैसे देशों से। ट्रम्प पहले ही ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ की घोषणा कर चुके हैं। इसके अलावा, तेल और गैस, कृषि उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स और अर्धचालक जैसे उद्योगों पर भी टैरिफ लगाए जाने की संभावना है। विशेष रूप से, ट्रम्प ने वेनेजुएला से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। हालाँकि, उन्होंने संकेत दिया है कि कुछ देशों को छूट दी जा सकती है।
व्यापार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस कदम से अमेरिकी उद्योगों को कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, क्योंकि आयातित सामान अधिक महंगे हो जाएंगे। कई कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि इन टैरिफ से अमेरिका को अतिरिक्त 600 बिलियन डॉलर का वार्षिक राजस्व प्राप्त हो सकता है।
भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारत जैसे देशों के लिए ये टैरिफ निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। भारत अमेरिका को फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र जैसे उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक है। यदि भारत पर टैरिफ लगाया गया तो भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की ‘लचीलेपन’ की बात भारत जैसे मित्र देशों के लिए राहत की संभावना को दर्शाती है।
भारत पर नकारात्मक प्रभाव
निर्यात में गिरावट: भारत अमेरिका को कपड़ा, फर्नीचर, ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात करता है। टैरिफ से ये उत्पाद अधिक महंगे हो जाएंगे, जिससे मांग कम हो सकती है।
फार्मास्युटिकल उद्योग: भारत जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। टैरिफ से दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
आर्थिक प्रभाव: निर्यात में कमी से भारत के लघु एवं मध्यम उद्यमों को नुकसान हो सकता है, जिसका असर रोजगार और विदेशी मुद्रा पर पड़ेगा।
संभावित सकारात्मक पहलू
छूट की संभावना: भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को देखते हुए, भारत को आंशिक या पूर्ण छूट मिल सकती है।
विनिर्माण अवसर: यदि अमेरिकी कंपनियां आयात कम करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाएं तो भारत एक आकर्षक गंतव्य बन सकता है।
चीन के साथ प्रतिस्पर्धात्मक लाभ: भारत, चीन पर भारी टैरिफ लगाकर अमेरिकी बाजार में उसकी जगह ले सकता है।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर बातचीत
इस बीच, भारत और अमेरिका ने आने वाले हफ्तों में द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के तहत वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय चार दिवसीय बैठक के बाद लिया गया, जिसमें बाजार पहुंच, टैरिफ कटौती और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण पर चर्चा की गई।