Tripur Bhairavi Jayanti 2025: भय और शत्रुओं का नाश करने वाली महाशक्ति का दिन
News India Live, Digital Desk : क्या आपको कभी ऐसा लगता है कि आपकी तरक्की को किसी की नज़र लग गई है? या फिर जाने-अनजाने में आपके इतने दुश्मन (Hidden Enemies) बन गए हैं जो आपको चैन से जीने नहीं दे रहे? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं, तो आने वाला दिन आपके लिए बेहद खास है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष (अगहन) महीने की पूर्णिमा को एक बेहद शक्तिशाली दिन माना जाता है। इस दिन 'दस महाविद्याओं' में से पांचवीं विद्या मां त्रिपुर भैरवी (Maa Tripur Bhairavi) का अवतरण हुआ था। साल 2025 में यह पावन पर्व 4 दिसंबर (गुरुवार) को मनाया जाएगा।
आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि कौन हैं मां त्रिपुर भैरवी और इस दिन आपको क्या करना चाहिए।
कौन हैं मां त्रिपुर भैरवी? (Who is Mata Tripur Bhairavi?)
अगर आपने मां काली (Maa Kali) की उग्र छवि देखी है, तो मां त्रिपुर भैरवी का स्वरूप भी काफी हद तक वैसा ही है। उनका रंग उगते हुए सूरज की तरह लाल है, जो बताता है कि उनमें कितनी ऊर्जा और तेज है। 'त्रिपुर' का मतलब है तीनों लोकों (स्वर्ग, धरती, पाताल) की स्वामी, और 'भैरवी' का मतलब है जो भय का नाश करे।
साधना जगत में माना जाता है कि जब इंसान के जीवन में सब रास्ते बंद हो जाएं, तो मां भैरवी की पूजा तुरंत फल देती है। यह साधना आपके अंदर के डर, आलस और बाहरी शत्रुओं को खत्म करने के लिए अचूक मानी जाती है।
इस बार शुभ मुहूर्त कब है? (Shubh Muhurat)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 दिसंबर को दोपहर 12:44 बजे से होगी और यह 5 दिसंबर को सुबह 10:28 बजे तक रहेगी।
चूंकि माता की साधना अक्सर रात में (निशीथ काल) में ज्यादा फलदायी मानी जाती है, इसलिए 4 दिसंबर की रात पूजा के लिए सबसे उत्तम रहेगी।
- विशेष योग: इस बार जयंती पर 'साध्य योग' और 'रवि योग' का संयोग बन रहा है, जिससे आपकी पूजा का फल कई गुना बढ़ जाएगा।
घर पर पूजा की विधि: बहुत सरल और प्रभावी (Simple Puja Vidhi)
लोगों को लगता है कि महाविद्या की पूजा सिर्फ़ तांत्रिक या साधु ही कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। गृहस्थ लोग भी मां की सौम्य रूप में पूजा कर सकते हैं।
- लाल रंग है पसंद: सुबह या शाम को नहा-धोकर लाल कपड़े पहनें। पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाएं और माता की तस्वीर स्थापित करें।
- फूल और भोग: मां को गुड़हल (Hibiscus) का फूल बहुत प्रिय है। अगर वो न मिले तो लाल गुलाब चढ़ाएं। भोग में खीर या लाल रंग की कोई मिठाई अर्पित करें।
- दीपक: घी का दीपक जलाएं और मां से अपनी परेशानी कहें।
- मंत्र: रुद्राक्ष की माला से "ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदर्यै नमः" का जाप करें। बस ध्यान रखें कि मन में किसी का बुरा करने का भाव न हो।
क्यों करनी चाहिए ये पूजा?
आज के दौर में सबसे बड़ी समस्या है—तनाव, मानसिक डर और अनचाही रुकावटें। मां त्रिपुर भैरवी की कृपा से इंसान का 'व्यक्तित्व' (Personality) इतना प्रभावशाली हो जाता है कि कोई उसके सामने टिक नहीं पाता। अगर आप कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे हैं या बेवजह का डर आपको सताता है, तो इस जयंती पर मां के नाम का एक दीपक ज़रूर जलाएं।
विश्वास मानिए, जहां भक्ति सच्ची होती है, वहां डर की कोई जगह नहीं होती।
--Advertisement--