‘हर खेत में मेड़, हर मेड़ पर पेड़’ से सुधरेगा पर्यावरण, बढ़ेगा उत्पादन, समृद्ध होंगे किसान

मीरजापुर, 08 मई (हि.स.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कृषि विज्ञान संस्थान में चल रहे शुष्क कृषि अनुसंधान परियोजना के तहत पहाड़ी ब्लाक अंतर्गत टेढ़ा गांव में राष्ट्रीय कृषि वानिकी दिवस पर बुधवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया। साथ ही किसानों को कृषि वानिकी के प्रोत्साहन के लिए ‘नरेंद्र आंवला-7’ किस्म के पौधे वितरित किए गए।

मुख्य वैज्ञानिक प्रो. अनुपम कुमार नेमा ने किसानों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कृषि के साथ वानिकी के लाभ बताए और खेत में कृषि के साथ पेड़ लगाकर अपनी उत्पादकता बढ़ाने को लेकर जानकारी दी। उन्होंने किसानों की समस्याएं सुन निराकरण भी किए। बताया कि किसान अपने खेतों में आंवला, आम, अमरूद, नीम, सागौन, पॉपलर आदि जैसे पेड़ उगाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कृषि वानिकी के माध्यम से खेतों में पौधों का उगाना जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक होगा।

सहायक वैज्ञानिक डा. सुधीर कुमार राजपूत ने बताया कि खेतों में पेड़ लगाने शुष्क क्षेत्रों में पर्यावरण सुधरने के साथ कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। पेड़ वातावरण में ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड को कम करते हैं। इसके अलावा पेड़ मृदा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

बुंदेलखंड की तर्ज पर विंध्य क्षेत्र में खेत की मेड़ पर लगाएं पेड़, सुधरेगी मिट्टी की गुणवत्ता

उन्होंने आय बढ़ाने के लिए किसानों को सरकार के कार्बन क्रेडिट्स से संबंधित विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया। बुंदेलखंड क्षेत्र का एक सफल उदाहरण दिया, जहां किसानों का एक नारा ‘हर खेत में मेड़, हर मेड़ पर पेड़’ है। वहां पर किसान खेत की मेड़ों पर पेड़ लगा रहे हैं, जो खेत में स्थायी नमी संरक्षण में सुधार करता है और मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

किसान बोले- सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की दिशा में बढ़ाएंगे कदम

किसानों ने आश्वस्त किया कि वे इस उपाय को अपनाएंगे और एक सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। इस दौरान लैब टेक्नीशियन दिव्य दर्शन सिंह, शोध छात्र अंबिकेश त्रिपाठी, निष्ठा शरणागत, अल्का सिंह आदि मौजूद थे।