Tonsil Cancer Symptoms: सर्दी का मौसम आते ही गले की समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इनमें टॉन्सिल्स की परेशानी आम है। क्या आपने कभी सोचा है कि टॉन्सिल्स वास्तव में क्या हैं और ये समस्या कितनी गंभीर हो सकती है? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं। टॉन्सिल्स हमारे मुंह के पिछले हिस्से में मौजूद दो अंडाकार आकार की ग्रंथियां हैं। जब इनमें संक्रमण होता है, तो इसे टॉन्सिलिटिस कहा जाता है। हालांकि, गंभीर मामलों में यह कैंसर का रूप भी ले सकता है।
टॉन्सिल कैंसर क्या है?
टॉन्सिल कैंसर तब होता है जब टॉन्सिल्स की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक साबित हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि टॉन्सिल्स में सूजन और दर्द लंबे समय तक बना रहे, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
टॉन्सिल कैंसर के मुख्य लक्षण:
- निगलने में परेशानी: खाना या पानी निगलते समय दर्द होना।
- गर्दन और जबड़े में दर्द: लगातार दर्द या अकड़न का अनुभव।
- कान का दर्द: बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार दर्द होना।
- आवाज में बदलाव: आवाज का भारी या बनावटी हो जाना।
- वजन घटना और थकावट: अचानक भूख कम हो जाना और अत्यधिक थकान महसूस करना।
- सरवाइकल लिम्फ नोड का बढ़ना: गर्दन के लिम्फ नोड्स में सूजन।
- जबड़े का सख्त होना: जबड़ा खोलने या हिलाने में कठिनाई।
टॉन्सिलिटिस क्यों होता है?
टॉन्सिल्स में संक्रमण आमतौर पर वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होता है।
टॉन्सिलिटिस के सामान्य कारण:
- सामान्य वायरल संक्रमण: जैसे कि सर्दी-जुकाम।
- बैक्टीरियल संक्रमण: अधिकांश मामलों में यह स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण होता है।
यदि इसका समय पर इलाज न हो, तो यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है।
टॉन्सिल्स के प्रकार
1. एक्यूट टॉन्सिलाइटिस (Acute Tonsillitis)
- यह वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है।
- इसके लक्षणों में गले की खराश, सूजन, और टॉन्सिल्स का रंग सफेद या ग्रे होना शामिल है।
- यह अचानक होता है और कुछ दिनों में ठीक हो जाता है।
2. क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस (Chronic Tonsillitis)
- यह स्थिति तब होती है जब बार-बार टॉन्सिल्स की समस्या हो।
- कभी-कभी एक्यूट टॉन्सिलाइटिस के बाद क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस हो सकता है।
- इस समस्या में गले का संक्रमण लंबे समय तक बना रहता है।
3. पेरिटॉन्सिलर एब्सेस (Peritonsillar Abscess)
- इस स्थिति में टॉन्सिल्स में मवाद जमने लगती है।
- मवाद को समय पर निकालना ज़रूरी है, वरना यह कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।
4. एक्यूट मोनोन्यूक्लियोसिस (Acute Mononucleosis)
- यह एपस्टीन बार वायरस के कारण होता है।
- गले में सूजन, बुखार, और लाल चकत्ते इसके प्रमुख लक्षण हैं।
5. स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat)
- यह स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है।
- इससे गले में खराश, बुखार और गर्दन दर्द की समस्या होती है।
टॉन्सिल कैंसर से बचाव के उपाय
1. सही खान-पान अपनाएं:
- गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें।
- विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं।
2. स्वच्छता का ध्यान रखें:
- ठंड के मौसम में गले को ढककर रखें।
- बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
3. समय पर डॉक्टर से संपर्क करें:
- गले में लंबे समय तक सूजन या दर्द होने पर तुरंत जांच कराएं।
टॉन्सिल कैंसर का इलाज
1. बायोप्सी और जांच:
- टॉन्सिल कैंसर का निदान बायोप्सी और स्कैन के माध्यम से किया जाता है।
2. रेडिएशन थेरेपी:
- कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन का उपयोग किया जाता है।
3. कीमोथेरेपी:
- गंभीर मामलों में, दवाओं के माध्यम से उपचार किया जाता है।
4. सर्जरी:
- टॉन्सिल्स को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।