कल देश को उन्नत तकनीक से लैस 3 बाहुबली युद्धपोत मिलेंगे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 15 जनवरी को महाराष्ट्र का दौरा करेंगे. इस दौरान वह मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना के तीन महत्वपूर्ण युद्धपोत आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाग्शिर पनडुब्बियों को देश को समर्पित करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है।

 

कितने ताकतवर हैं तीनों युद्धपोत?

आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाग्शिर पनडुब्बियों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता में काफी वृद्धि होगी। इतना ही नहीं, ये तीनों स्वदेशी उत्पादन के उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं। इन तीनों को मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में डिजाइन और निर्मित किया गया है। इनमें से आईएनएस सूरत एक स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक है और आईएनएस नीलगिरि प्रोजेक्ट 17ए का पहला स्टील्थ फ्रिगेट है। वहीं, आईएनएस वाघशीर एक स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बी है।

आईएनएस सूरत कितना शक्तिशाली है?

आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत निर्मित चौथा और आखिरी स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक है। यह अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और दुश्मन पर सटीक हमला करने की क्षमता रखता है। आईएनएस सूरत की स्थापना 7 नवंबर 2019 को की गई थी और 17 मई 2022 को लॉन्च किया गया था। यह भारतीय नौसेना का अब तक का सबसे तेज़ स्वदेश निर्मित विध्वंसक है।

आईएनएस नीलगिरि नीले पानी के अभियानों का राजा है

आईएनएस नीलगिरि भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित पहला स्टील्थ फ्रिगेट है। यह जहाज आधुनिक तकनीक से लैस है और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इसकी आधारशिला 28 दिसंबर 2017 को रखी गई और 28 सितंबर 2019 को लॉन्च किया गया। वहीं, नीलगिरि ने अगस्त 2024 में अपना समुद्री परीक्षण शुरू किया और सभी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए।

आईएनएस वाग्शिर दुश्मन के इलाकों पर नजर रखेगा

आईएनएस वाग्शिर प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्मित भारतीय नौसेना की स्कॉर्पियन श्रेणी की छठी और आखिरी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है। यह अपनी उन्नत तकनीक और गुप्त संचालन क्षमताओं के लिए जाना जाता है। वाघशीर को मॉड्यूलर निर्माण तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है, जिससे इसकी भविष्य की क्षमताओं को अपग्रेड करना आसान हो जाता है। इन पनडुब्बियों को विशेष रूप से भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है।