बार-बार गर्भपात क्यों होता है? इसे रोकने के लिए डॉक्टरों के ये आसान सुझाव अपनाएँ
प्रारंभिक गर्भपात के लक्षण: माँ बनना हर महिला की एक बड़ी ख्वाहिश होती है। लेकिन अगर यह ख्वाहिश पूरी न हो, तो दिल और उम्मीद दोनों टूट जाते हैं। खासकर जब बार-बार गर्भधारण करने से गर्भपात हो जाता है, तो महिलाओं को न सिर्फ़ शारीरिक क्षति होती है, बल्कि गहरा मानसिक और भावनात्मक आघात भी पहुँचता है। यह भावनात्मक आघात कई बार इतना गहरा होता है कि महिलाएं अवसाद का शिकार हो जाती हैं, जिससे उबरना बहुत मुश्किल होता है।
जैसा कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा बताती हैं, बार-बार गर्भपात होना आपकी खुशी का अंत नहीं है, इसलिए घबराएँ नहीं; बल्कि धैर्य रखें। आयुर्वेदिक उपचार हार्मोन को संतुलित करके और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इस समस्या का समाधान कर सकता है।
गर्भपात के कारण
सबसे पहले, आपको गर्भपात के कारणों को समझना होगा। अलग-अलग महिलाओं में गर्भपात अलग-अलग कारणों से हो सकता है। इसलिए, किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले पूरी जाँच करवाना बहुत ज़रूरी है।
रक्त और हार्मोन परीक्षण करवाएं।
ये जाँचें बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि कभी-कभी इंसुलिन के असंतुलित स्तर, प्रोजेस्टेरोन या थायरॉइड की समस्याओं के कारण गर्भपात हो सकता है। अगर आपको थायरॉइड या मधुमेह है, तो नियमित जाँच बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ये गर्भपात के जोखिम को काफ़ी बढ़ा देते हैं। स्वस्थ गर्भावस्था के लिए एक स्वस्थ गर्भाशय बेहद ज़रूरी है। कोई भी संक्रमण, फाइब्रॉएड या पॉलीप्स भी बार-बार गर्भपात का कारण बन सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड करवाएँ।
आनुवंशिक कारक भी एक कारण हैं
कभी-कभी गर्भपात आनुवंशिक कारणों से भी होता है, इसलिए इसकी भी जाँच करवाना ज़रूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, गर्भाशय की कमज़ोरी बार-बार गर्भपात का कारण बन सकती है, इसलिए संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है। आयुर्वेदिक उपचार आपके गर्भाशय को मज़बूत बनाता है, जिससे गर्भवती होने पर महिला एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाती है।
गर्भपात से बचने के लिए क्या खाएं?
इसके लिए संतुलित आहार ज़रूरी है। आप एक स्वस्थ गर्भावस्था का अनुभव तभी कर सकती हैं जब आप भावनात्मक संतुलन, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति से भरपूर हों। जितना हो सके अपने आहार में कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इस दौरान अत्यधिक तनाव से बचें और सकारात्मक सोच बनाए रखें। जल्दी सोने की आदत डालें। शराब और सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों से बचें। उचित सलाह और उपचार से, आप कई बार गर्भपात के बाद भी एक स्वस्थ गर्भावस्था का अनुभव कर सकती हैं।
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