Dengue: डेंगू से बचने के लिए घर के अंदर या बाहर इन बातों का रखें विशेष ध्यान

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मानसून के दौरान मच्छरों का प्रजनन तेजी से बढ़ जाता है। कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। लेकिन अगर हम जागरूक हों तो इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं। डेंगू बुखार में अचानक बुखार आना, गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, ग्रंथियों में सूजन और दाने शामिल हैं। ये लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 4-10 दिन बाद दिखाई देते हैं और 2-10 दिनों तक रह सकते हैं।
यह जल्दी ही गंभीर डेंगू में बदल सकता है, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है, जब आपके रक्तप्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं (प्लेटलेट्स) की संख्या कम हो जाती है और आपकी रक्त वाहिकाएं इतनी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं कि उनमें रिसाव होने लगता है। इससे सदमा, आंतरिक रक्तस्राव और अंग विफलता हो सकती है।
यदि आप डेंगू के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो डेंगू एनएस1 एंटीजन परीक्षण करवाएं, जो वायरस के गैर-संरचनात्मक प्रोटीन को मापता है, या पीसीआर परीक्षण करवाएं। फिर चौथे या पांचवें दिन आईजीएम एंटीबॉडी परीक्षण करें, जब आपको डेंगू होने की अधिक संभावना हो।
यदि आप ऊपर बताए गए लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) कराएं और यदि सकारात्मक हो, तो प्लेटलेट स्तर की जांच के लिए इसे हर दूसरे दिन दोहराएं।
सबसे महत्वपूर्ण मार्करों में से एक पीसीवी (पैक्ड सेल वॉल्यूम) है, जो रक्त की चिपचिपाहट का माप है। यह लाल रक्त कोशिकाओं में वृद्धि या निर्जलीकरण का संकेत देता है।