जयपुर, 16 जून (हि.स.)। राजस्थान को ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार त्वरित फैसले ले रही है। राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में सरप्लस एनर्जी स्टेट बनाने के संकल्प को शीघ्र पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री ने चार सोलर प्रोजेक्ट के लिए भूमि आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
प्रस्ताव के अनुसार बीकानेर जिले में 2450 मेगावाट के तीन सोलर पार्काे की स्थापना के लिए राजस्थान सोलर पार्क डवलपमेंट कंपनी को कुल 4780 हैक्टेयर तथा फलौदी जिले में 500 मेगावाट के एक सोलर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड को लगभग 910 हैक्टेयर भूमि आवंटन को मंजूरी दी गई है। बीकानेर जिले में एक-एक हजार मेगावाट के दो तथा 450 मेगावाट का एक सोलर पार्क स्थापित किया जायेंगा। पहले सोलर पार्क के लिए पूगल तहसील के ग्राम सूरासर में लगभग 1881 हैक्टेयर भूमि आवंटन को मंजूरी दी गई है। इसी तरह एक हजार मेगावाट के दूसरे सोलर पार्क के लिए दो हजार हैक्टेयर भूमि आवंटित की जायेंगी जिसमें से 1194 हैक्टेयर भूमि सूरासर तथा लगभग 807 हैक्टेयर भूमि ग्राम भणावतावाला में स्थित है।
इसी प्रकार बीकानेर जिले में ही 450 मेगावाट के तीसरे सोलर पार्क की स्थापना हेतु छत्तरगढ़ तहसील के ग्राम सरदारपुरा में 900 हैक्टेयर भूमि आवंटन को मंजूरी दी गई है। ये सोलर पार्क राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय (केन्द्र सरकार) की सौर पार्क योजना के अन्तर्गत 3 चरणों में विकसित किये जायेंगे। शर्मा ने इसके साथ ही एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड को 500 मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए फलौदी जिले की बाप तहसील में ग्राम भड़ला में 910 हैक्टेयर भूमि आवंटन को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि इन सोलर प्रोजेक्ट्स के माध्यम से राजस्थान को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का हमारा संकल्प साकार होगा और ये प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित होने के साथ ही क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी।
शर्मा ने कहा कि ये सोलर प्रोजेक्ट्स पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगे और सालाना लगभग 2 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इन सोलर पार्क्स में अत्याधुनिक सौर पैनल्स और ग्रिड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा, जिससे ऊर्जा उत्पादन की क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के माध्यम से प्रदेश में लगभग 10 हजार करोड़ का निवेश भी होगा। एमएनआरई अनुमोदित परियोजना होने से 33 प्रतिशत अनुदान मिलेगा तथा अगले दो वर्ष में पूरा किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए गत 10 मार्च को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड एवं एनएलसी इंडिया लिमिटेड के मध्य 3325 मेगावाट की थर्मल परियोजनाएं एवं 28,500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं संयुक्त उपक्रम के तहत स्थापित करने के लिए एक लाख 50 हजार करोड़ रूपये एमओयू किये गये है। साथ ही प्रसारण तंत्र को सुदृढ करने के लिए पावरग्रिड कॉर्पोरेशन के साथ 26:74 शेयर धारिता के अनुपात में संयुक्त उपक्रम की स्थापना के लिए एमओयू किया गया जिसके तहत 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसके अतिरिक्त राजस्थान ऊर्जा विकास निगम एवं एसजेवीएन के मध्य 600 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की आपूर्ति के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये गये। 3200 मेगावाट कोल आधारित परियोजना, 8000 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना टैरिफ आधारित निविदा प्रक्रिया माध्यम से करने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इन परियोजनाओं की स्थापना से लगभग 64 हजार करोड़ रूपये का निवेश हो सकेगा।