PIB Fact Check Unit: सुप्रीम कोर्ट ने PIB Fact Check Unit पर रोक लगा दी है. पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां आज (गुरुवार) सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट (FCU) पर रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा है.’
सुप्रीम कोर्ट से नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की गई थी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में केंद्र सरकार द्वारा पारित सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023 के तहत फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) स्थापित करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है। आईटी संशोधन नियम 2023 के तहत, केंद्र सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक जांच निकाय बना सकता है, जिसके पास किसी भी गतिविधि के संबंध में झूठी या फर्जी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने और उन्हें टैग करने की शक्ति होगी।
याचिका में कहा गया है, ‘फैक्ट चेक यूनिट सोशल मीडिया कंपनियों को केंद्र सरकार के बारे में ऑनलाइन सामग्री पर सेंसरशिप लागू करने के लिए मजबूर करेगी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 मार्च को याचिका खारिज कर दी. इसके बाद अब याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘हमारा विचार है कि प्रथम दृष्टया इन नियमों के अमल पर रोक लगाने का मामला बनता है.’
केंद्र सरकार ने एक फैक्ट चेक यूनिट बनाई
केंद्र सरकार ने इंटरनेट मीडिया पर फर्जी सामग्री की पहचान करने के लिए फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू) की स्थापना की थी। आईटी नियमों में संशोधन के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को केंद्र सरकार से जुड़ी कोई भी जानकारी जो फैक्ट चेक यूनिट को फर्जी लगे, उसे हटाना होगा, अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। फैक्ट चेक यूनिट को केंद्र द्वारा आईटी नियम, 2021 के तहत अधिसूचित किया गया था।