इस बार पितरों को मिलेगा 2 दिन कम समय? जानिए क्यों 14 दिन का ही रह गया पितृ पक्ष
हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक, हम सब एक खास समय में प्रवेश करते हैं जिसे पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। यह वह समय होता है जब हम अपने उन पूर्वजों को याद करते हैं जो आज हमारे बीच नहीं हैं। इन दिनों में उनके प्रति अपना सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद हमारे परिवार पर बना रहता है।
आमतौर पर, यह पितृ पक्ष 15 या 16 दिनों का होता है। लेकिन इस साल, 2025 में, पंचांग में एक ऐसा संयोग बन रहा है जो कई सालों में एक बार होता है - इस बार का पितृ पक्ष सिर्फ 14 दिनों का ही होगा।
कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष 2025?
इस साल, श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा के श्राद्ध से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025, रविवार को सर्व पितृ अमावस्या के साथ होगा।
क्यों रह गया यह पक्ष 14 दिन का?
15 या 16 दिन के बजाय 14 दिन का श्राद्ध पक्ष होना अपने आप में एक ज्योतिषीय घटना है। ऐसा तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण होता है। हिंदू पंचांग तिथियों पर आधारित होता है, और कभी-कभी कोई तिथि 24 घंटे से कम समय की होती है या फिर दो तिथियां एक ही दिन पड़ जाती हैं, जिससे वह 'क्षय' हो जाती है, यानी घट जाती है।
इस साल, पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है। इसका मतलब है कि चतुर्थी श्राद्ध के ठीक अगले दिन पंचमी श्राद्ध न होकर, सीधे षष्ठी तिथि का श्राद्ध होगा। यानी जिन लोगों के पूर्वजों का देहांत पंचमी तिथि को हुआ था, वे इस साल उनका श्राद्ध नहीं कर पाएंगे।
क्या होता है इसका मतलब?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दिनों का घटना या बढ़ना कोई अशुभ संकेत नहीं होता है। यह एक सामान्य खगोलीय और पंचांग की गणना है। हालांकि, यह उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है जिन्हें उस विशेष तिथि पर श्राद्ध करना होता है जो घट गई है।
लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। आप अपने पूर्वजों को पूरे श्रद्धा भाव से याद करें, उनके नाम पर दान-पुण्य करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण हमारा भाव और हमारी श्रद्धा होती है। यह छोटा सा पंचांग का बदलाव आपकी भक्ति में कोई कमी नहीं आने देगा।
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