हरिद्वार, 17 अगस्त (हि.स.)। इस बार भी रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया रहेगा। रक्षाबंधन पर 7 घंटे 39 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। साथ ही श्रावणी कर्म भी निषेध रहेगा। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि भद्राकाल के बाद दोपहर में रक्षा सूत्र बांधना या बंधवाना उत्तम रहेगा। इस बार रक्षाबंधन श्रावणी का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्रावणी व रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। उसमें भद्रा का साया न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक रक्षा सूत्र बंधन का कार्य भद्रा रहित शुभ मुहूर्त काल में ही होना चाहिए। भद्रा काल को अशुभ माना गया है। इस कारण इस मुहुर्त काल में रक्ष बंधन का विधान निषेध बताया गया है।
इस बार रक्षाबंधन पर सुबह 05. 53 से दोपहर 01. 32 तक भद्रा रहेगी। इस दौरान भद्रा का वास पाताल लोक में बताया गया है। कुछ ज्योतिष का कहना है कि पाताल की भ्रदा का विशेष महत्व नहीं होता। इसको नजरअंदाज भी किया जा सकता है अर्थात यदि कोई भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधता या बंधवाता है तो कोई हानि नहीं है। हालांकि मुहुर्त के हिसाब से रक्षा सूत्र बंधवाया जाए, जो विशेष फलदायी होता है। ज्योतिषाचार्य डा. प्रदीप जोशी के अनुसार रक्षाबंधन पर भद्रा काल अवश्य रहता है। केवल इसका समय आगे-पीछे रहता है। इस बार भद्रा पाताल लोक में होने के कारण पर्व को अधिक प्रभावित नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि भद्राकाल के बाद दोपहर में रक्षा सूत्र बांधना या बंधवाना उत्तम रहेगा।