इस रविवार है पौष महीने की अखुरथ संकष्टी चतुर्थी, चांद निकलने का सही समय और पूजा विधि जान लें
News India Live, Digital Desk : सर्दियों का मौसम और पौष का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म में हर महीने आने वाली संकष्टी चतुर्थी का अपना एक अलग महत्व है, लेकिन पौष माह (Paush Month) की चतुर्थी जिसे अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वो बहुत खास मानी जाती है. अगर आप भी बप्पा के भक्त हैं और यह व्रत रखते हैं, तो आने वाला रविवार (Sunday) आपके लिए बहुत शुभ होने वाला है.
अक्सर त्योहारों की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन हो जाता है, तो चलिए आज एकदम सरल भाषा में जानते हैं कि व्रत कब रखना है और पूजा का 'परफेक्ट' टाइम क्या है.
कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2025?
पंचांग के हिसाब से देखें तो पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस बार 7 दिसंबर 2025, रविवार को पड़ रही है.
- तिथि शुरू: 7 दिसंबर को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर.
- तिथि समाप्त: 8 दिसंबर को दोपहर 4 बजकर 03 मिनट पर.
चूंकि संकष्टी का व्रत हमेशा रात को चंद्रमा (Moon) को अर्घ्य देकर खोला जाता है, और 7 तारीख की शाम को ही चतुर्थी तिथि लग रही है, इसलिए यह व्रत 7 दिसंबर को ही रखा जाएगा. 8 तारीख को व्रत रखने का कोई फायदा नहीं क्योंकि शाम को चतुर्थी नहीं होगी.
पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat)
गणेश जी की पूजा के लिए शाम का समय यानी 'प्रदोष काल' सबसे उत्तम माना गया है.
आप 7 दिसंबर की शाम को 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे के बीच आराम से बप्पा की पूजा कर सकते हैं.
चांद कब निकलेगा? (Moonrise Time)
यह सवाल हर व्रत रखने वाले के मन में होता है. दोस्तों, रविवार की रात चांद निकलने का समय लगभग रात 8 बजकर 55 मिनट (08:55 PM) के आसपास रहेगा. (नोट: आपके शहर के हिसाब से इसमें 10-15 मिनट का ऊपर-नीचे फर्क हो सकता है, तो 8:45 के बाद छत पर नज़र जरूर दौड़ाएं).
क्यों खास है 'अखुरथ' संकष्टी?
आपने गणेश जी की कई तस्वीरें देखी होंगी, लेकिन 'अखुरथ' स्वरूप में भगवान गणेश अपने वाहन मूषक (चूहे) पर सवार होकर भक्तों के कष्ट हरने आते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन विधि-विधान से, दूर्वा और लड्डू का भोग लगाकर पूजा करता है, उसके जीवन की रुकावटें ऐसे गायब होती हैं जैसे गजानन का चूहा बिल में छुप जाता है! यह व्रत खासतौर पर संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है.
पूजा की सरल विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले या लाल कपड़े पहनें.
- घर के मंदिर में गणेश जी के सामने दीप जलाएं और व्रत का संकल्प लें.
- दिन भर सात्विक रहें. फलाहार कर सकते हैं.
- शाम को दोबारा हाथ-मुंह धोकर पूजा करें.
- बप्पा को 21 दूर्वा, लाल फूल, और मोदक चढ़ाएं.
- रात को जब चांद निकल आए, तो अर्घ्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें और व्रत खोलें.
तो दोस्तों, तैयारी कर लीजिए. इस रविवार को अपने घर बप्पा का स्वागत करें और सारी चिंताएं उन पर छोड़ दें.
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