ब्लड शुगर से लेकर पाचन तंत्र तक, इन बीमारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है यह आयुर्वेदिक पौधा

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दुनिया भर में ऐसे कई पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद में किया जाता है। इन्हीं में से एक है ‘कालमेघ’, जो न केवल अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने औषधीय गुणों के कारण प्राचीन काल से ही मानव स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। सर्दी, बुखार, मधुमेह हो या शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना हो, इसे हर चीज के लिए रामबाण माना जाता है। आइये जानते हैं कालमेघ से जुड़ी विशेषताओं के बारे में।

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
दरअसल, कालमेघ एक बारहमासी औषधीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम एंडोग्राफिस पैनिक्युलेटा है। यह पौधा भारत और श्रीलंका का मूल निवासी है। यह उत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में व्यापक रूप से पाया जाता है। खास बात यह है कि इसका स्वाद जितना कड़वा होता है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद होता है। कहा जाता है कि कालमेघ किसी भी अन्य जड़ी-बूटी से कम नहीं है, क्योंकि यह पौधा सर्दी-जुकाम, बुखार के इलाज और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर माना जाता है। इसे पेट से संबंधित कई बीमारियों के इलाज में फायदेमंद माना जाता है।

मधुमेह:
कालमेघ के पत्तों से बना काढ़ा भी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में उपयोगी माना जाता है। कहा जाता है कि इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है।

त्वचा संबंधी समस्याएं:
कालमेघ का पौधा मुंहासे और त्वचा संबंधी रोगों (दाद, खुजली) के इलाज में किसी वरदान से कम नहीं है। कालमेघ के पत्तों का पानी त्वचा की जलन, रूखापन और खुजली जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

 

पाचन तंत्र:
कालमेघ का पौधा पेट से संबंधित समस्याओं (एसिडिटी, अपच, कब्ज) से भी राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

अनुसंधान क्या कहता है?
कालमेघ के पौधे पर भी काफी शोध हुआ है। विभिन्न शोधों में इसके लाभकारी गुणों का वर्णन किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 2015 में कालमेघ पर किए गए शोध के बारे में बताया था कि यह पेट के रोगों, शुगर और ब्लड प्रेशर सहित अन्य बीमारियों के इलाज में बहुत उपयोगी है।