मां बनना हर महिला के जीवन का एक खास सपना होता है। लेकिन गर्भावस्था के 9 महीने चुनौतियों और जिम्मेदारियों से भरे होते हैं। इस दौरान मां का हर कदम गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास और भविष्य को प्रभावित करता है। अगर गर्भावस्था के दौरान कुछ बुरी आदतों को ठीक नहीं किया गया तो इसका बच्चे के स्वास्थ्य और विकास पर गंभीर असर पड़ सकता है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि खाना पकाने और गर्म करने के लिए कोयला या लकड़ी जैसे ठोस ईंधन का उपयोग करने से गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह (जीडीएम) का खतरा बढ़ सकता है। चीन में ज़ूनी मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं ऐसे ईंधन का उपयोग करती हैं, उनमें मधुमेह की संभावना अधिक होती है, जो गर्भ में बच्चे के विकास को रोक सकता है।
धूम्रपान और शराब का सेवन
धूम्रपान और शराब के सेवन से गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास धीमा हो सकता है। इससे बच्चे के जन्म के बाद भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि जन्म के समय कम वजन, सांस संबंधी समस्याएं और यहां तक कि मानसिक विकास में बाधा।
अनियंत्रित मधुमेह और उच्च रक्तचाप भी शिशु के सामान्य विकास में बड़ी बाधा बन सकते हैं। उच्च रक्तचाप प्लेसेंटा में रक्त के प्रवाह को कम कर सकता है, जिससे भ्रूण को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता है।
पोषण का महत्व: गर्भवती महिला के खान-पान का सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है। अगर मां संतुलित आहार नहीं लेती है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे बच्चे का विकास धीमा हो सकता है और भविष्य में वह कमजोर हो सकता है।
गर्भवती महिला के तनाव का असर उसके बच्चे पर भी पड़ सकता है। अत्यधिक तनाव से गर्भ में बच्चे का रक्त प्रवाह कम हो सकता है, जिससे उसके विकास पर असर पड़ता है।
क्या करें?
* संतुलित आहार लें जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल हों।
* धूम्रपान और शराब से पूरी तरह बचें।
* नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लें और समय-समय पर सीरियल अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाते रहें।
* तनाव कम करने के लिए हल्का व्यायाम करें और योग या ध्यान का सहारा लें।
* प्रदूषण और ठोस ईंधन से दूर रहें।