आआपा के दफ्तर के लिए केंद्रीय दिल्ली में कोई भूमि खाली नहीं, केन्द्र सरकार ने हाई कोर्ट को दी सूचना

नई दिल्ली, 15 मई (हि.स.)। केंद्र सरकार ने कहा है कि आम आदमी पार्टी (आआपा) के दफ्तर के लिए केंद्रीय दिल्ली में कोई भूमि खाली नहीं है। केंद्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट को ये सूचना दी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की अगली सुनवाई 20 मई को करने का आदेश दिया है।

सुनवाई के दौरान केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने हाई कोर्ट को बताया कि पहले उसने आम आदमी पार्टी को अपने केंद्रीय दफ्तर के लिए साकेत कोर्ट के पास एक स्थायी दफ्तर अलॉट करने का ऑफर दिया था, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कोई जवाब नहीं दिया। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि आम आदमी पार्टी केंद्रीय दिल्ली में खासकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर दफ्तर के लिए भूमि की मांग कर रही है जहां भूमि उपलब्ध नहीं है।

केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय की दलील का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि उसका एक मंत्री 23-24, राऊज एवेन्यू में अपना आवास खाली कर आम आदमी पार्टी को देना चाहता है। इस पर मंत्रालय ने कहा कि जब तक मंत्री अपना आवास खाली नहीं करते और उनके अधिकार में नहीं आ जाता तब तक वे किसी को आवंटित कैसे कर सकते हैं। उसके बाद हाई कोर्ट ने मंत्रालय को इस संबंध में 20 मई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की याचिका पर 14 अप्रैल को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया था कि वो एक राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक राष्ट्रीय पार्टियां दिल्ली में कार्यालय के लिए जमीन पाने के हकदार हैं। सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अपना दफ्तर चलाने के लिए दिल्ली में जमीन मिली हुई है। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने उसके राऊज एवेन्यू दफ्तर को 15 जून तक खाली करने का आदेश दिया है। ऐसे में उसे अपने दफ्तर के लिए एक वैकल्पिक भूमि को आवंटित करने का आदेश जारी किया जाए।

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि उसे दफ्तर के लिए दिल्ली में एक हजार वर्ग मीटर भूमि पाने का हक है। पार्टी को जब राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दल का दर्जा मिला उसके छह महीने के बाद ही उसने भूमि आवंटित करने के लिए आवेदन दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने उसके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कोई भी खाली जगह नहीं है। केंद्र का ऐसा व्यवहार इसलिए है क्योंकि याचिकाकर्ता एक विपक्षी पार्टी है। पार्टी का कहना है कि उसे अपने दफ्तर के लिए केंद्रीय दिल्ली में भूमि आवंटित की जाए।