जगदलपुर, 9 सितंबर (हि.स.)। बस्तर जिले के बास्तानार इलाके में दंडामी माडिया बड़ी संख्या में निवासरत हैं। दंडामी माडिया समाज के मध्य यह परंपरा वर्षों से जारी है, कि अगर कोई ग्रामीण किसी अपराध की वजह से जेल गया या किसी कारण वश उसे पुलिस वाले ने थप्पड़ जड़ दिया, तो उसे तत्काल समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। इसकी पुष्टि करते हुए खास पारा बास्तानार के हिडमू, किसके पारा के दुलगो, कोड़ेनार के आयता बताते हैं कि जेल जाने से सामाजिक प्रतिष्ठा तो धूमिल होती है, वहीं परिजनों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
दूसरी बात यह है कि पुलिस कर्मी को लोग अपना सेवक मानते हैं, और सेवक से ही कोई मार खा जाए या अपमानित हो जाए, तो इससे बड़ी बेज्जती क्या हो सकती है? इसलिए ऐसे लोगों को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में वह घर के बाहर झोपड़ी में रहता है, और जब तक समाज को भोज नहीं देता, उसे समाज में नहीं मिलाया जाता।
बास्तानार इलाके के दंडामी माडिया समाज में बहिष्कृत व्यक्ति को समाज में फिर मिलने के लिए परिजनों को सामूहिक भोज देने के लिए धन और राशन की व्यवस्था करनी पड़ती है। सामाजिक दंड के इस भोज में कम से कम 400 लोग शामिल होते हैं। सामूहिक भोज करने पर लगभग 60 हजार रुपये खर्च आता है। इसके चलते परिजनों को जमीन गिरवी रखनी पड़ती है, या कर्ज लेना पड़ता है। इस आर्थिक बोझ से बचने के लिए ही ग्रामीण चोरी, लड़ाई झगड़ा, आदि से दूर रहने का प्रयास करते हैं। इस डर और संयम के कारण ही कोड़ेनार थाना क्षेत्र के गांवों में अपराध कम होते हैं, और लोग घरों में ताले नहीं लगाते। बताया गया कि कोड़ेनार थाना क्षेत्र अंतर्गत कुल 49 गांव आते हैं, और इन गांवों में उपरोक्त परंपरा वर्षों से जारी है।