अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संघीय खर्चों में कटौती के लिए बनाए गए विभाग ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE)’ के मुखिया और मशहूर अरबपति एलन मस्क ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने जल्द ही अपने बजट को संतुलित नहीं किया, तो देश दिवालिया हो सकता है।
मंगलवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप और मस्क ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां मस्क की इस चेतावनी ने हड़कंप मचा दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका सच में आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है?
एलन मस्क ने क्यों दी दिवालिया होने की चेतावनी?
एलन मस्क ने विशेष रूप से अमेरिका के बढ़ते बजट घाटे पर चिंता जताई है।
- पिछले वित्तीय वर्ष में अमेरिका का बजट घाटा 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है।
- मस्क के मुताबिक, सरकारी खर्चों में कटौती अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुकी है।
- लेकिन ट्रंप प्रशासन की सख्त वित्तीय नीतियां कानूनी विवादों में उलझती जा रही हैं।
ट्रंप की नीतियों पर विवाद क्यों?
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल के हफ्तों में कई कार्यकारी आदेश (Executive Orders) जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य संघीय खर्चों को कम करना है।
- इन नीतियों के चलते कई संघीय एजेंसियां बंद हो गई हैं या उनमें तैनात कर्मचारियों को घर भेज दिया गया है।
- इस फैसले का कानूनी और सामाजिक स्तर पर विरोध हो रहा है।
- विपक्षी नेता और मानवाधिकार संगठन इसे “अवैध सत्ता का दुरुपयोग” बता रहे हैं और अदालतों में मुकदमे दर्ज कराए गए हैं।
नतीजा: अब यह मामला अमेरिकी अदालतों और ट्रंप प्रशासन के बीच सीधी टक्कर में बदल चुका है।
एलन मस्क पर भी उठे सवाल
इस विवाद के बीच एलन मस्क पर भी हितों के टकराव (Conflict of Interest) के आरोप लग रहे हैं।
- मस्क टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ हैं, जिनके पास अमेरिकी सरकार के साथ अरबों डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट हैं।
- ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या मस्क सरकारी खर्चों में कटौती की आड़ में अपनी कंपनियों को फायदा पहुंचा रहे हैं?
- जब इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मस्क से सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि वे पूरी पारदर्शिता बरतने की कोशिश कर रहे हैं।
DOGE टीम के फैसले पर भी बवाल
DOGE एजेंसी के एक और फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह एजेंसी अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के माध्यम से लाखों नागरिकों की व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी तक पहुंच बना चुकी है।
- इस खुलासे के बाद कई सांसदों और मानवाधिकार संगठनों ने सख्त आपत्ति जताई है।
- आलोचकों का कहना है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
अब आगे क्या होगा?
ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी अदालतों के बीच इस मुद्दे पर सीधा टकराव देखने को मिल रहा है।
- क्या ट्रंप और मस्क की खर्च कटौती की योजनाएं कानूनी चुनौतियों को पार कर पाएंगी?
- या फिर अदालतें इन पर रोक लगा देंगी?
- क्या अमेरिका सच में आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति है?
आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि ट्रंप प्रशासन की ये सख्त वित्तीय नीतियां अमेरिका को आर्थिक रूप से बचाएंगी या और बड़ी मुसीबत में डाल देंगी।