राम मंदिर मुद्दे के बावजूद यूपी में क्यों हारी बीजेपी? टास्क फोर्स ने ये तीन कारण ढूंढे

लोकसभा चुनाव 2024: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लगा है. इस बार राम मंदिर मुद्दे के बावजूद बीजेपी को यूपी में हार का सामना करना पड़ा है. 2019 में बीजेपी को यूपी में 62 सीटें मिलीं, जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे सिर्फ 33 सीटों से संतोष करना पड़ा. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य से बीजेपी को 29 सीटें कम मिलने की चर्चा पूरे देश में चल रही है. अब पार्टी भी इस पर विचार कर रही है और सभी फीडबैक के बाद कोई कदम उठाया जा सकता है. पार्टी नेतृत्व को प्रत्याशियों और स्थानीय नेताओं से अब तक जो फीडबैक मिला है, उसके मुताबिक सांसदों को राज्य कर्मचारियों का सहयोग नहीं मिल रहा है. पार्टी कार्यकर्ताओं के ही खिलाफ होने और संविधान बदलने की झूठी कहानी फैलाने से जनता को ठेस पहुंची है। 

यूपी में हार के कारणों की व्यापक जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन

इतना ही नहीं बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार कर रहा है. इस सप्ताह के अंत तक रिपोर्ट हाईकमान को सौंप दी जाएगी. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने यूपी में हार के कारणों की विस्तृत जांच के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है. टास्क फोर्स को राज्य की 78 सीटों की समीक्षा का काम सौंपा गया है. यह टास्क फोर्स सिर्फ पीएम मोदी की वाराणसी में होने वाली सभा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की लखनऊ में होने वाली सभा की समीक्षा नहीं करेगी. इसके अलावा राज्य की बाकी सभी 78 सीटों की समीक्षा की जाएगी. 

राम मंदिर मुद्दे के बावजूद यूपी में बीजेपी हार गई

बीजेपी को सबसे ज्यादा हार अमेठी, फैजाबाद (अयोध्या वाली सीट), बलिया और सुल्तानपुर जैसी सीटों पर झेलनी पड़ी. ये सीटें बीजेपी के लिए मजबूत मानी जा रही थीं. अमेठी में एक सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ता के खिलाफ स्मृति ईरानी की हार ने पूरे कथानक को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा अयोध्या की हार भी चौंकाने वाली है. लगातार जीतती आ रहीं मेनका गांधी ही सुल्तानपुर में चुनाव हार गईं. उसके बाद अयोध्या की हार ने पूरी कथा को आहत किया है. जिस सीट पर ऐतिहासिक राम मंदिर बना है, वहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. जिस अयोध्या में 500 साल का इतिहास चक्र घूमता है, वहां ऐसी हार से बीजेपी को झटका लगा है. 

साथ ही आरएसएस से फीडबैक भी मांग रहे हैं

अब पार्टी इस बात की तैयारी कर रही है कि पूरा नैरेटिव कैसे सेट किया जाए और अपनी हार को कैसे पचाया जाए. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों से भी फीडबैक लेगी. संघ के लोगों से यह भी कहा गया है कि आप समीक्षा करें और बताएं कि हार के क्या कारण रहे. अब तक कई उम्मीदवारों ने बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने हमारी हार के कारणों का जिक्र किया है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि सरकारी कर्मचारियों ने सांसदों का सहयोग नहीं किया है. उधर, पार्टी कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग इसके विरोध में उतर गया. तीसरा, जाति आधारित ठाकुर रैलियों ने भी भाजपा को पश्चिम से पूर्व तक नुकसान पहुंचाया।