यूपी में बदल गया जमीन आवंटन का नियम ,एक्सप्रेसवे किनारे उद्योग लगाने वालों के लिए भी बड़े निर्देश
News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश को जमीन पर उतारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब तक का सबसे सख्त और बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि जिन भी निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए जमीन आवंटित की गई है, उन्हें हर हाल में 3 साल के भीतर अपना प्रोजेक्ट शुरू करना होगा। अगर कोई निवेशक ऐसा करने में नाकाम रहता है, तो उसके नाम पर किया गया भूमि आवंटन तुरंत रद्द कर दिया जाएगा और जमीन वापस ले ली जाएगी।
यह फैसला उन अटकलों और शिकायतों पर एक सीधा प्रहार है, जिनमें कहा जा रहा था कि कई निवेशक सिर्फ सस्ती दरों पर सरकारी जमीन लेकर बैठ जाते हैं, लेकिन असल में कोई उद्योग स्थापित नहीं करते, जिससे राज्य के विकास की रफ्तार धीमी पड़ती है।
एक्सप्रेसवे के किनारे विकास पर भी दिए कड़े निर्देश
बुधवार को यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के कार्यों की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। उन्होंने सिर्फ निवेश पर ही नहीं, बल्कि प्रदेश की जीवनरेखा बन चुके एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक विकास को गति देने पर भी जोर दिया।
बैठक में दिए गए अन्य प्रमुख निर्देश:
- औद्योगिक क्लस्टर का विकास: सीएम योगी ने कहा कि गंगा, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक क्लस्टर्स (समूह) बनाने के काम में तेजी लाई जाए। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को और सरल और तेज किया जाए।
- बेहतर कनेक्टिविटी: यह सुनिश्चित किया जाए कि इन औद्योगिक क्लस्टर्स तक पहुंचने के लिए एक्सप्रेसवे से सीधी और अच्छी कनेक्टिविटी हो, ताकि माल ढुलाई और आवागमन में कोई समस्या न हो।
- सुविधाएं बढ़ाएं: एक्सप्रेसवे पर यात्रियों की सुविधा के लिए पेट्रोल पंप, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, होटल, रेस्टोरेंट और ट्रामा सेंटर जैसी जरूरी सुविधाओं का जाल बिछाया जाए। बुंदेलखंड और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर इन सुविधाओं को प्राथमिकता के आधार पर विकसित करने के निर्देश दिए गए हैं।
फैसले का मकसद साफ: "बातें कम, काम ज्यादा"
मुख्यमंत्री के इन फैसलों का मकसद बिल्कुल साफ है - उत्तर प्रदेश को सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि हकीकत में एक बड़ा औद्योगिक हब बनाना। 3 साल की समय सीमा तय करने से यह सुनिश्चित होगा कि केवल गंभीर और वास्तविक निवेशक ही आगे आएं। इससे न केवल राज्य में औद्योगिक विकास की गति तेज होगी, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, जो सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
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